छात्रावास की लक्ष्मी को दुल्हन के रूप में किया विदा
छात्रावास में रह रही लक्ष्मी का सेठानीघाट स्थित गायत्री मंदिर में संपन्न हुआ विवाह

होशंगाबाद. कौन कहता है कि जिनकी जुबां नहीं होती, वह बोल नहीं सकते। आखों ही आखों में सात जन्मों की कस्में खाकर एक दूजे के हो गए लक्ष्मी और नितिन। यह नजारा था होमसाइंस कॉलेज में शनिवार को। दरअसल इस दिन मूकबधिर लक्ष्मी और नितिन परिणय सूत्र में बंधे। लक्ष्मी ठाकुर होशंगाबाद एवं नितिन कुलकर्णी भोपाल का विवाह पूरे रीति रिवाज से सेठानीघाट स्थित गायत्री मंदिर में सम्पन्न हुआ। इसमें जहां लक्ष्मी के घराती कॉलेज स्टॉफ एवं ठाकुर परिवार रहे, वहीं लड़के के साथ परिवार के सदस्य मौजूद रहे। इसके पहले लक्ष्मी की हल्दी, मेंहदी, माता पूजन सहित अन्य रस्में होमसाइंस कॉलेज छात्रावास में हुई। अंत में विदाई भी कॉलेज छात्रावास से हुई। लक्ष्मी का कन्यादान मुंह बोले पिता रंजीत सिंह ठाकुर ने किया। समाज ने मिलकर शादी का खर्च वहन किया।

प्रिंसिपल ने दूल्हे के पैर छूकर किया विदा
हिंदू परंपरा के अनुसार दामाद के पैर छूकर लड़की को विदा किया जाता है। होमसाइंस कॉलेज में प्राचार्य कामिनी जैन ने नितिन के हाथों में लक्ष्मी को सौंपते समय पैर छूकर कॉलेज से विदा किया।
समाज को दिया संदेश
रंजीत सिंह ठाकुर ने कहा कि वह इस शादी को लेकर खुश हैं। उन्होंने एक अनाथ बेटी को गोद लेकर उसे पाला और शादी कर विदा किया।
दो साल से रह रही छात्रावास में
लक्ष्मी ने दो साल पहले होमसाइंस कॉलेज में बीए में एडमिशन लिया था, तब उसने प्राचार्य कामिनी जैन को समस्या बताकर छात्रावास में रहने की बात कही थी, इस पर प्राचार्य ने अधिकारियों द्वारा कानूनी तरह से उसे अपने साथ रखा। दो साल से वह उसकी जिम्मेदारी उठा रही थंी।
बचपन से मिलीं कठनाईयां
लक्ष्मी को बचपन से ही कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। सांईनाथ आश्रम में वार्डन के द्वारा उसे परेशान किया जाता था। तब ठाकुर परिवार के रंजीत सिंह ने उसे सहारा दिया और बेटी मानकर भोपाल में पढ़ाया। फिर जनसुनवाई में कलेक्टर से अपील कर कॉलेज में प्रवेश दिलाया।
ऐसे पहुंची लक्ष्मी ठाकुर
सिंचाई विभाग से रिटायर्ड रंजीत सिंह बताते हैं कि अनाथ लक्ष्मी उन्हे ११ साल पहले मालाखेड़ी सांईनाथ विकलांग आश्रम में मिली थी। इसके बाद उन्होंने उसे विकलांग आश्रम से निकालकर होमसाइंस कॉलेज पहुंचाया।
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