यह हैं आदेश
14 नवंबर को शासन ने आदेश जारी किया है कि यूरिया का जो आवंटन जिले में आएगा उसका 6० फीसदी कृषि विभाग के पास रहेगा। बाकी के 40 प्रतिशत हिस्से में से एमपी स्टेट एग्रो को और निजी फर्मों को देना होगा, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं हो रहा। जिम्मेदार अफसरों और खाद कंपनियों की सांठगांठ के चलते यह आदेश फिलहाल ताक पर रख दिया गया है। अभी यह हो रहा है कि यूरिया की रैक लगने पर नियमानुसार एमपी स्टेट एग्रो को भी सूचना देकर उसका आवंटन दिया जाना चाहिए मगर एमपी एग्रो को सूचना हीं नहीं दी जा रही है। एमपी एग्रो को अगर कहीं से सूचना मिल भी रही है तो खानापूर्ति के लिए चंद बोरी यूरिया देकर पल्ला छुड़ाया जा रहा है।
14 नवंबर को शासन ने आदेश जारी किया है कि यूरिया का जो आवंटन जिले में आएगा उसका 6० फीसदी कृषि विभाग के पास रहेगा। बाकी के 40 प्रतिशत हिस्से में से एमपी स्टेट एग्रो को और निजी फर्मों को देना होगा, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं हो रहा। जिम्मेदार अफसरों और खाद कंपनियों की सांठगांठ के चलते यह आदेश फिलहाल ताक पर रख दिया गया है। अभी यह हो रहा है कि यूरिया की रैक लगने पर नियमानुसार एमपी स्टेट एग्रो को भी सूचना देकर उसका आवंटन दिया जाना चाहिए मगर एमपी एग्रो को सूचना हीं नहीं दी जा रही है। एमपी एग्रो को अगर कहीं से सूचना मिल भी रही है तो खानापूर्ति के लिए चंद बोरी यूरिया देकर पल्ला छुड़ाया जा रहा है।
कब-कब लगी रैक
यूरिया खाद की पहली रैक 17 नवंबर को लगी थी। एक रैक में करीबन 3 हजार से 3500 टन यूरिया आता है यानी एक रैक में करीब 1.35 लाख से 1.57 लाख बोरी यूरिया आता है। एमपी स्टेट एग्रो को नियम के हिसाब से इसमें करीब 34 हजार से 38 हजार बोरी यूरिया मिलना था। इतना ही यूरिया व्यापारियों को जाना था और करीब 67 हजार से लेकर 78 हजार बोरी यूरिया कृषि विभाग को मिलना था मगर एमपी एग्रो को 1 बोरी यूरिया नहीं दिया गया। इसी तरह 20 नवंबर को भी यूरिया खाद की आधी रैक लगी थी जिसमें करीब 70 हजार बोरी यूरिया आया था। इसमें से 50 फीसदी कृषि विभाग को दे दी गई और करीब ३५ हजार बोरी व्यापारियों को बांट दी गई। एमपी एग्रो को महज 380 बोरी देकर टरका दिया गया।
यूरिया खाद की पहली रैक 17 नवंबर को लगी थी। एक रैक में करीबन 3 हजार से 3500 टन यूरिया आता है यानी एक रैक में करीब 1.35 लाख से 1.57 लाख बोरी यूरिया आता है। एमपी स्टेट एग्रो को नियम के हिसाब से इसमें करीब 34 हजार से 38 हजार बोरी यूरिया मिलना था। इतना ही यूरिया व्यापारियों को जाना था और करीब 67 हजार से लेकर 78 हजार बोरी यूरिया कृषि विभाग को मिलना था मगर एमपी एग्रो को 1 बोरी यूरिया नहीं दिया गया। इसी तरह 20 नवंबर को भी यूरिया खाद की आधी रैक लगी थी जिसमें करीब 70 हजार बोरी यूरिया आया था। इसमें से 50 फीसदी कृषि विभाग को दे दी गई और करीब ३५ हजार बोरी व्यापारियों को बांट दी गई। एमपी एग्रो को महज 380 बोरी देकर टरका दिया गया।
खाली पड़े हैं गोदामएमपी एग्रो कार्यालय को यूरिया नहीं मिलने से उनके चारों गोदाम खाली पड़े हैं। यह गोदाम इटारसी, बानापुरा, पिपरिया और बनखेड़ी में हैं। इन सभी गोदामों की क्षमता ५०० टन प्रति गोदाम है। इन गोदामों में अभी पिछले साल की कुछ बचा हुआ माल और अन्य सामग्री भरी पड़ी है।
प्रदेश के लिए इतनी हुई है डिमांड
डीएपी-9040 मीट्रिक टन
यूरिया-37480 मीट्रिक टन
एनपीके-2385मीट्रिक टन
पोटाश-125 मीट्रिक टन
कुल डिमांड-49010 मीट्रिक टन कृषि विभाग ने एमपी स्टेट एग्रो को भी यूरिया का आवंटन देने के निर्देश दिए हैं मगर कंपनियों द्वारा रैक लगने पर कोई सूचना नहीं दी जाती है। कृषि विभाग ने हमें यूरिया आवंटन कराने का आश्वासन दिया है।
-डीएन बेंडे, जिला प्रबंधक एमपी एग्रो होशंगाबाद
शासन के आदेश हैं कि 60 फीसदी मार्कफेड को दिया जाना है और ४० फीसदी निजी क्षेत्र देना है। नियमानुसार ही यूरिया का वितरण किया जा रहा है।
-जीतेंद्र ङ्क्षसह, उप संचालक कृषि
-जीतेंद्र ङ्क्षसह, उप संचालक कृषि