दरअसल, मटकुली में आतंक मचाने वाले बांधवगढ़ के बाघ ‘जय’ को रविवार को एसटीआर के पचमढ़ी के घने चुरना जंगल के बीचों-बीच छोड़ा गया है। जहां पर बाघ किसी भी रहवासी क्षेत्र में आसानी से आ नहीं सकेगा। इस दौरान वन विभाग की टीम आईडी कॉलर की लोकेशन के माध्यम से नजर रखेगी। एसटीआर के संचालक एसके सिंह ने बताया कि बाघ जय जंगल में छोड़ते समय जमकर दहाड़ भी मारी।
‘रॉकेट’ की तरह भागा
बाघ ‘जय’ने मटकुली इलाके में आतंक मचा रखा था। लोग डर से घरों में दुबके हुए थे। लेकिन जब इसे जंगल में फिर से छोड़ा जा रहा था। दहाड़ मारते हुए ‘रॉकेट’ की रफ्तार से जंगल में घुस गया। चंद मिनटों में ही वह कैमरे की नजरों से विलुप्त हो गया था। उसके बाद वन विभाग की टीम वहां से निकली। इसने इंसानों के साथ कई पालतू जानवरों पर भी हमला किया था।
बाघ ‘जय’ने मटकुली इलाके में आतंक मचा रखा था। लोग डर से घरों में दुबके हुए थे। लेकिन जब इसे जंगल में फिर से छोड़ा जा रहा था। दहाड़ मारते हुए ‘रॉकेट’ की रफ्तार से जंगल में घुस गया। चंद मिनटों में ही वह कैमरे की नजरों से विलुप्त हो गया था। उसके बाद वन विभाग की टीम वहां से निकली। इसने इंसानों के साथ कई पालतू जानवरों पर भी हमला किया था।
12 घंटे तक चला ऑपरेशन
मुख्य वन संरक्षक के निर्देशन में फील्ड डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर सहित पचास सदस्यीय दल बाघ रेस्क्यू में शामिल हुआ। एसटीआर सहायक संचालक पचमढ़ी संजीव शर्मा के अनुसार रेस्क्यू 12 घंटे चला। सुबह साढ़े चार बजे से भाग को घेरना शुरू किया गया। शाम को साढ़े चार बजे रेस्क्यू पूरा हुआ। करीब 12 घंटे तक बाघ ने दल को खूब छकाया। वह हाक लगाने के बाद बाद कभी नाले में घुस जाता तो कभी पहाड़ी पर चढ़ जाता। बाघ लेंटना की ऊंची झाड़ियों में छुप जाता।
मुख्य वन संरक्षक के निर्देशन में फील्ड डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर सहित पचास सदस्यीय दल बाघ रेस्क्यू में शामिल हुआ। एसटीआर सहायक संचालक पचमढ़ी संजीव शर्मा के अनुसार रेस्क्यू 12 घंटे चला। सुबह साढ़े चार बजे से भाग को घेरना शुरू किया गया। शाम को साढ़े चार बजे रेस्क्यू पूरा हुआ। करीब 12 घंटे तक बाघ ने दल को खूब छकाया। वह हाक लगाने के बाद बाद कभी नाले में घुस जाता तो कभी पहाड़ी पर चढ़ जाता। बाघ लेंटना की ऊंची झाड़ियों में छुप जाता।
चारा डाला तो आया करीब
शनिवार दोपहर में वन विभाग के अधिकारियों ने चारा डाला। करीब तीन बजे बाघ जैसे ही चारे के पास आया तो डॉक्टरों की टीम ने ट्रेंकुलाइज कर बाघ को बेहोश कर दिया। इसके बाद बेहोश बाघ को झाड़ियों से निकालकर स्ट्रेचर के जरिए विशेष पिंजरे में डालकर वाहन में शिफ्ट किया।
शनिवार दोपहर में वन विभाग के अधिकारियों ने चारा डाला। करीब तीन बजे बाघ जैसे ही चारे के पास आया तो डॉक्टरों की टीम ने ट्रेंकुलाइज कर बाघ को बेहोश कर दिया। इसके बाद बेहोश बाघ को झाड़ियों से निकालकर स्ट्रेचर के जरिए विशेष पिंजरे में डालकर वाहन में शिफ्ट किया।
एसटीआर के संचालक एसके सिंह ने कहा कि बाघ आदमखोर नहीं है। वह रात के समय सामने आने वाले पर हमला करता है। यह उसकी टेंडेंसी है। वह अब भी खुले जंगलों में ही रहेगा। गौरतलब है कि महिला पर बाघ के हमले के बाद एसटीआर के कार्यालय में शुक्रवार को रहवासियों ने तोड़फोड़ की थी। जिसमें वन विभाग को पंद्रह लाख रुपये का नुकसान हुआ था।