सर्दी में ही होने लगी जल संकट की आहट
पीएचई ने भेजी क्रिटिकल गांवों की सूची

सोहागपुर। सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र में आगामी गर्मी में होने वाले पेयजल संकट की आहट अभी से सुनाई देने लगी है। फरवरी 2018 की शुरुआत मेें ही भूमिगत जलस्तर काफी नीचे पहुंच गया है। स्थिति देखकर लगता है कि अप्रैल से लेकर जून तक के समय में पानी के लिए हाहाकार की स्थिति बनेगी। यह स्थिति इस वर्ष हुई अल्प वर्षा के चलते बनी है और जरूरी है कि अब स्थिति पर नियंत्रण प्रयास हों।
मामले में पीएचई व राजस्व विभागों से पूछताछ व पड़ताल की तो ज्ञात हुआ कि दिसंबर से ही गर्मी में होने वाली पानी की संभावित कमी को लेकर चर्चाएं प्रशासनिक स्तर पर होने लगी हैं । पीएचई ने जहां जिला प्रशासन को सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र के बाबई व सोहागपुर ब्लॉक्स के क्रिटिकल वाटर क्राइसिस बनने जा रहे गांवों की सूची सौंप दी है। वहीं राजस्व विभाग ने भी गत सप्ताह हुई बैठक में सभी संबंधित विभागों को आगाह कर दिया है कि पानी की कमी को लेकर बनने वाली विस्फोटक स्थिति पर नियंत्रण की अभी से तैयारी कर लें। इधर पीएचई विभाग सूत्रों के अनुसार प्रतिदिन गांवों के हैंडपंपों की जानकारी जुटाई जा रही है कि यदि कहीं पानी नहीं आ रहा हो तो पाइप संख्या बढ़ाई जाए। पीएचई मैकेनिकों के अनुसार फरवरी में ही जल स्तर कम होने की स्थिति यह है कि प्रतिदिन कहीं न कहीं हैंडपंपों में पाइप की संख्या बढ़ाने फरवरी माह की शुरुवात में ही जाना पड़ रहा है, जबकि गत वर्ष तक यह स्थिति अप्रैल माह की शुरुआत मेें बनती थी। लेकिन इस वर्ष अभी से जल संकट की आहट सुनाने लगी है।
सूखने लगी नर्मदा सहित अन्य बड़ी नदियां
इस साल गर्मी में संभावना है कि प्राकृतिक जलस्त्रोतों पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। एक ओर क्षेत्र के छोटे नदी-नाले तो अभी से सूखने लगे हैं वहीं नर्मदा नदी का जलस्तर भी काफी कम हो चला है। ग्राम अजेरा निवासी रूपसिंह केवट ने बताया कि उनके परिजनों के अनुसार इस साल नर्मदा नदी का जलस्तर जितना गिरा है, उतना कभी नहीं गिरा है। अजेरा क्षेत्र में ही जहां बारहों महीने जलधारा एक सी रहती थी, वहां अभी से नर्मदा की जलधारा के बीच में टापू नजर आने लगे हैं। यही स्थिति अन्य नर्मदा घाटों पर भी नजर आने लगी है।
ये हैं क्रिटिकल विलेज
पीएचई द्वारा सोहागपुर विधानसभा के बाबई व सोहागपुर ब्लॉक के उन गांवों की सूची जिला प्रशासन को भेजी जा चुकी है, जहां आगामी ग्रीष्मकाल में जल संकट की स्थिति बनना तय नजर आ रहा है। इनमें सोहागपुर से बिछुआ, गौंड़ीखेड़ी माल, सियारखेड़ा, छेड़का, पथरई, टेकापार, डूंडादेह, रैपुरा, परसवाड़ा, जमुनिया, रानीगोहान, अजेरा, सूखाखेड़ी, हथनावड़, सेमरी हरचंद आदि गांव शामिल हैं। जबकि बाबई से इस सूची में खारदा, झालौन, शिवपुर, गुनौल, चूरना आदि गांव शामिल हैं। सूची में इन गांवों में वर्तमान में उपलब्ध जलस्त्रोंतों का भी विवरण दर्ज किया गया है।
निर्देश दिए हैं
&टीएल की बैठक मेें मैेंने निर्देश दिए हैं कि सभी विभाग अपने स्तर पर पेयजल संकट से जूझने की तैयारी करें। यहां तक कि विभाग प्रमुखों को यह निर्देश भी दिए हैं कि अपने-अपने कार्यालयों में पेयजल की बर्बादी न हो, इसका भी ध्यान रखें। जपं से तालाबों के गहरीकरण की बात कही है।
-बृजेश सक्सेना, एसडीएम सोहागपुर।
सूची दी है
&हमारे विभाग ने सोहागपुर व बाबई के संभावित जल संकट वाले गांवों की सूची जिला प्रशासन को दी है। साथ ही लगातार हमारे कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्र में नजर रखे हुए हैं। प्रतिदिन कहीं न कहीं हैंडपंपों में पाईप बढ़ाकर कार्य किया जा रहा है। जलस्तर में गिरावट तो दर्ज होने लगी है।
-डीआर सुनहरे, एसडीओ, पीएचई, सोहागपुर।
अब पाइए अपने शहर ( Hoshangabad News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज