खाद को लेकर खड़ी हो गई दिक्कत
क्षेत्र में तवा बांध से 28 अक्टूबर से नहरों में पानी छोड़ा गया और 30 तारीख से किसानों को पानी मिलना प्रारंभ हुआ, लेकिन डीएपी उपलब्ध नहीं होने से किसान रबी सीजन की बोवनी नहीं कर पा रहे। भारतीय किसान संघ के नेता संतोष पटवारे ने बताया कि किसानों ने पहले पलेवा कर दिया था और बोवनी की तैयारी भी कर ली, लेकिन प्रशासन समय पर डीएपी खाद ही मुहैया नहीं करवा पा रहा। डीएपी खाद पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रहा है। सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से ऋण पर खाद उपलब्ध कराया जा रहा है, लेकिन ज्यादातर लघु किसान परेशान हो रहे हैं। न तो निजी दुकानों और न ही सोसायटियों सहित डबल लॉक केंद्रों भी खाद नहीं मिल रहा। पिछले सप्ताह से सिवनी मालवा तहसील में खाद वितरण नहीं हो रहा है। बाजार में भी व्यापारियों को सीमित मात्रा में खाद दिया जा रहा है। छोटे व लघु किसान परेशान हैं।
सीमांत किसानों ने बताया कि प्रशासन की लापरवाही से आवश्यकता के अनुरूप कार्ड पर खाद प्राप्त नहीं हो रहा है, जबकि पिछले वर्षों में खाद का अग्रिम उठाव करा कर किसानों को रबी सीजन के लिए खाद दिया जाता था, लेकिन इस वर्ष नहीं हुआ। रासायनिक खादों में मूल्य वृद्धि भी किए जाने की सरकारी योजना के कारण किसानों को समय पर खाद प्रदाय नहीं होना भी मुख्य कारण है। किसानों ने सवाल किए हैं कि कृषि विभाग के अनुसार जिले में पर्याप्त मात्रा में खाद है। अगर है तो किसानों को खाद क्यों नहीं मिल रहा।
निजी उर्वरक दुकानों का निरीक्षण
निर्धारित दाम पर एवं बिना किसी अन्य आदान सामग्री टैगिंग के किसानों को उर्वरक उपलब्ध कराये जाने के लिए कृषि विभाग मानीटरिंग कर रहा है। उत्तम गुणवत्ता का बीज व खाद किसानों को उपलब्ध हो सके इसलिए खाद, बीज विक्रेताओं के भण्डारण से नमूने लिये जाकर परीक्षण हेतु भेजे जा रहे हैं। उप संचालक कृषि जेआर हेडाऊ ने निरीक्षण दल गठन किये गए हैं ,जिनके द्वारा निजी विक्रेताओं की दुकानों का सतत निरीक्षण कराया जा रहा है।
यूरिया-डीएपी के साथ जाइम-राखड़ की टैगिंग
निजी विक्रेताओं द्वारा कृषकों को यूरिया एवं डी.ए. पी. क्रय करने पर जाइम, राखड़ आदि की टैगिंग की शिकायत पर उप संचालक कृषि द्वारा तत्काल ही इसे संज्ञान में लेकर मेसर्स एचके कृषि मार्ट पिपरिया की जांच मौका स्थल पर कराई। जांच दल केन्द्र के अभिलेखों का निरीक्षण किया। दुकान पर आये कृषकों संजीव पुर्विया ग्राम भटगांव एवं कृषक चौधरी कमलेश ग्राम पचलावरा से जाइम, राखड़ या अन्य आदान सामग्री टैगिंग कर दिये जाने के संबंध में जानकारी भी ली गई। कृषकों ने बताया कि इनके द्वारा टैगिंग नहीं की गई है।