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ये तरबूज हैं कुछ खास

locationहोशंगाबादPublished: Apr 15, 2018 07:25:19 pm

Submitted by:

sandeep nayak

नर्मदा और तवा के तरबूज की बढ़ी डिमांड

watermelon benefits in hindi

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होशंगाबाद। गर्मी के दौरान हर कोई बेहाल हो जाता है। इससे निजात पाने और शरीर में तरावट लाने के लिए फिर हर किसी के पास एक ही नाम आता है तरबूज। जीहां आज हम आपको एक खास जगह के तरबूजों से अवगत करा रहे हैं। यह हैं नर्मदांचल के तरबूज। गर्मी के दिनों में यहां तरबूजों की डिमांड बढ़ गई है। नर्मदा एवं तवा नदी के तट पर लगे तरबूजों की मांग उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार सहित अन्य राज्यों से बढ़ गई है। यहां के तरबूज अंदर से लाल और मीठे रहते हैं, इस कारण इनकी डिमांड बढ़ती जा रही है। इसे यहां कलींदा भी कहा जाता है। इस बार तवा किनारे कलींदा की बंपर पैदावार हुई है। बताया जाता है कि रोजाना लगभग डेढ़ सौ ट्रक तरबूत प्रदेश सहित अन्य राज्यों में सप्लाई किए जा रहे हैं।
तवा कलींदा
जिले के बाबई, सेमरी, केसला, तवानगर, सुखतवा में तवा नदी एवं उसके डेम के आसपास रेतीले तट पर पैदा होने वाले मीठे-रसीले तरबूज की खासी डिमांड है।

यहां पहुंचते हैं कलींदा
यूपी के झांसी, महोबा, नयागांव, बांदा, ललितपुर और महाराष्ट्र के सोलापुर, कोलापुर, नागपुर तथा बिहार भेज रहे हैं। रोजाना सौ से डेढ़ सौ ट्रक की खपत हो रही है। इसके अलावा प्रदेश के भोपाल-इंदौर, गुना, शिवपुरी, अशोक नगर, राजगढ़, छतरपुर, टीकमगढ़ आदि जिलों में तरबूज की खैप जा रही है। नर्मदा एवं तवा तट पर खरबूज (डंगरा) की पैदावार दो-तीन वर्षो से घटी है।
भीषण तपन में दे रहा स्वाद और ठंडक
थोक व्यापारी मोहम्मद खान बताते हैं कि यह तरबूज नदी के किनारे के रेतीले मैदान की डंगरबाड़ी में प्राकृतिक रूप से पैदा होता है। इससे किसानों को आय के साथ परिवहनकर्ताओं को भी व्यवसाय मिलता है। मार्च से लेकर जून तक तरबूज की आवक रहती है।
यह हैं भाव
बंपर आवक से पिछले वर्ष की तुलना में थोक भाव भी कम है। पिछले वर्ष 6-8 रुपए किलो बिका तरबूज इस बार 4-5 रुपए किलो बिक रहा है। वहीं शहर में इसके फुटकर दाम 10 रुपए किलो चल रहे हैं।

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