दशहरा पर इस बार रामलीला मैदान में 3२ फीट ऊंचे रावण के वाटर प्रुफ पुतले का दहन होगा। वर्ष 2014 में तेज हवा और बारिश की वजह से पुतले को नुकसान हुआ था, इसलिए इस बार पुतले को मजबूती प्रदान करने के लिए 80 बांस लगाए गए हैं। बांस के बीच सुतली को बांधे रखने के लिए मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है। रामलीला महोत्सव समिति के लिए कुंभकरण, मेघनाथ और ररावण के यह पुतले बालागंज निवासी मोहम्मद शाकिर का परिवार कई वर्षों से तैयार कर रहा है। मोहम्मद शाकिर ने बताया कि उनके पिता निशास शाह और दादा निस्सू शाह भी रावण का पुतला बनाते थे।
ग्राम पंचायत खैरवानी, तीरभाटा और पुरानी सारनी समेत आसपास के गांवों के जनजातीय समुदाय द्वारा रविवार को कलेक्टर के नाम ज्ञापन एसडीओपी को सौंपकर रावण दहन (जलाने) का विरोध कर रोक लगाने की मांग की। ज्ञापन सौंपने वाले आदिवासी समुदाय जयस्तंभ चौक से अनुविभागीय अधिकारी पुलिस कार्यालय तक रैली के रूप में पहुंचा था। इस दौरान संजू नर्रे, राकेश, जंगल सिंह, बब्लू नर्रे आदि आदिवासी का मानना है कि वर्षों से हम रावणदेव को पूजते चले आ रहे हैं। उनके मंदिर में हर साल पूजन करते हैं। ग्रामीणों ने एसडीओपी को बताया कि ऐसी कोई परंपरा नहीं है कि रावण दहण हो।
65 फीट ऊंचे रावण का होगा दहन : कोल नगरी पाथाखेड़ा व विद्युत नगरी सारनी में इस वर्ष 65 फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन होगा। सारनी में डीडी देशमुख, डीडी माथनकर, एएन सिंह, एसके मालवीय द्वारा एक पखवाड़ा से रावण तैयार किया जा रहा है। वहीं पाथाखेड़ा के फुटबाल ग्राउंड में संजय प्रजापति, प्रदीप झा, लक्ष्मण साहू और भोजू के नेतृत्व में 65 फीट ऊंचा रावण तैयार किया जा रहा है।