पत्रिका पड़ताल में खुली नियमों की पोल पत्रिका ने गुरुवार को शहर के कई निजी स्कूलों के कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों के बैग का वजन किया तो पाया कि बच्चे पांच किलो से लेकर करीब ९ किलो तक का किताब कॉपियों से भरा बैग लेकर स्कूल जाते हैं। जब इस संबंध में बच्चों से पूछा कि जितनी किताब-कापियां वह लेकर जाते हैं सभी की पढ़ाई होती है। तो उनका कहना था कुछ तो इसलिए लेकर जाते हैं पता नहीं कब टीचर उसी को पढ़ाने लगे। कुछ किताबें तो साल में दो-चार बार ही खुलती हैंं।
16 से 18 किताब कापियां
छठवीं से लेकर 10वीं कक्षा तक के बच्चों के स्कूल बैग में करीब 16 से 18 किताब कापियां रहती हैं। वहीं पानी की वॉटल और लंच अलग। जिस प्?वाइंट पर उसे बस या वैन लेने आती है, वहां तक पैरेंट्स बैग लेकर छोडऩे जाते हैं और स्कूल की छुट्टी के बाद लेने पहुंच जाते हैं, लेकिन स्कूल में न तो पैरेंट्स होते हैं और न ही कोई सहारा देने वाला। एेसे में बच्चे खुद ही बैग टांगकर किसी तरह क्?लास तक पहुंचते हैं। वहीं पहली या दूसरी मंजिल पर क्लास हो तो इतने भारी बैग को लेकर क्लासरूम तक जाना बहुत कठिन होता है। बच्चों की सांस फूलने लगती है।
Expert view
– बच्चों का बैग उनके शरीर के वजन के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। बैग का ज्यादा वजन नुकसानदायी है। इससे बच्चों की बैक बोन में टेड़ापन सकता है। रीढ़ की हड्डियों के जोड़ में दबाव पडऩे से ऊंचाई कम रह जाती है। शारीरिक विकास में असर पड़ता है।
– बच्चों का बैग उनके शरीर के वजन के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। बैग का ज्यादा वजन नुकसानदायी है। इससे बच्चों की बैक बोन में टेड़ापन सकता है। रीढ़ की हड्डियों के जोड़ में दबाव पडऩे से ऊंचाई कम रह जाती है। शारीरिक विकास में असर पड़ता है।
-डॉ. राजकुमार गख्खर, शिशुरोग विशेषज्ञ…… सरकारी गाइड लाइन
कक्षा – अधिकतम भार
कक्षा एक से दो – 1.5 किलोग्राम
कक्षा ३ से ५ – 2 से 3 किलोग्राम
कक्षा छह से सात – 4किलोग्राम
कक्षा आठ से नौ- 4.5 किलोग्राम
कक्षा 10 से 05 किलोग्राम
कक्षा – अधिकतम भार
कक्षा एक से दो – 1.5 किलोग्राम
कक्षा ३ से ५ – 2 से 3 किलोग्राम
कक्षा छह से सात – 4किलोग्राम
कक्षा आठ से नौ- 4.5 किलोग्राम
कक्षा 10 से 05 किलोग्राम
इनका कहना है…. मानव अधिकारी आयोग ने स्कूल बैग के वजन के कुछ दिशा-निर्देश तो जारी किए हैं, लेकिन उन निर्देशों के पालन के संंबंध में उनका कहना था कि निर्देशों को देखने के बाद ही कुछ कह पाऊंगा।
-अनिल वैद्य, जिला शिक्षा अधिकारी