नहरों के दोनों किनारों पर 40 से 120 फीट तक जमीन खाली छोड़ी गई थी। इस जमीन पर पहले घास लगती थी जो चारागाह के रूप में उपयोग होती थी। इस चारागाह को सिंचाई विभाग हर साल नीलाम भी करता था लेकिन बड़ी नहरों के आसपास की जमीन खेतों में तब्दील हो गई है। डिस्ट्रीब्युटरी के आसपास की जमीन पर तो पक्के निर्माण किए जा चुके है या फिर जगह का निजी उपयोग हो रहा है।
इस तरह होती है मिलीभगत
सिंचाई विभाग की जमीन पर अधिकारियों की मिलीभगत से ही कब्जा हो रहा है। कब्जाधारी से जमीन के उपयोग करने की अनुमति का एक आवेदन दिला दिया जाता है और फिर इस कब्जा कर लिया जाता है।
पथरौटा बड़ी नहर के दोनों ओर किसानों ने अतिक्रमण करके खेत बना लिए हैं।
डिस्ट्रीब्यूटरी और माइनर के आसपास पक्के निर्माण हो गए हैं। इसका उदाहरण है नया यार्ड में देशी कलारी से इंद्रानगर के बीच सिंचाई विभाग की जमीन थी जहां अब पक्के भवनों का निर्माण हो गया है।
रैसलपुर डिस्ट्रीब्यूटरी के किनारे भी जमीन का निजी का उपयोग हो रहा है। यहां प्लेटिनम रिसोर्ट के पीछे नहर के अंदर पाइप डाल दिया गया है। हालांकि अधिकारी बताते हैं इसकी अनुमति दी गई है।
मोरारजी फर्टीलाइजर के सामने हाईवे 69 क्रॉस करके सिंचाई विभाग का बड़ा रकबा था इसका भी निजी उपयोग किया जा रहा है।
– इस मामले में नोटिस जारी किए जाएंगे। जहां भी कब्जा होगा वहां से कब्जा हटावाया जाएगा।
आईडी कुम्हरे, कार्यपालन यंत्री सिंचाई विभाग इटारसी