राहुल शरण, इटारसी। अच्छा स्वास्थ्य देने के तमाम दावे सरकार कर रही हो मगर जमीनी स्तर पर हकीकत बहुत कड़वी है। इस कड़वी हकीकत को जानने समझने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग के आला अफसर सिवाए उसकी अनदेखी करने के कुछ नहीं कर रहे हैं। आला अफसरों की अनदेखी गर्भवती महिलाओं के साथ ही उनके गर्भ में पल रही नन्हीं जान को भी डेंजर जोन में धकेल रही है।
किसी गर्भवती महिला की डिलीवरी के समय लेडी डॉक्टर का होना बहुत जरुरी है लेकिन बावजूद उसके यदि कहीं लेडी डॉक्टर की गैरमौजूदगी में डिलीवरी हो रही हो तो क्या इसे उस महिला और नवजात शिशु की जान के साथ खिलवाड़ नहीं माना जाएगा। जी हां यह बात सच है और यह खिलवाड़ कहीं और नहीं बल्कि इटारसी शहर से 30 किमी दूर स्थित सुखतवा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हो रहा है।
स्टाफ नर्स के करा रहीं डिलीवरी
वर्ष 2015 के पहले तक इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला चिकित्सक के तौर पर डॉ अमृता जीवने की ड्यूटी थी। उनकी पोस्टिंग तक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिलाओं को भर्ती कर उनकी डिलीवरी कराई जाती थी। दो साल पहले उनका ट्रांसफर होने से स्वास्थ्य केंद्र में पद खाली हो गया। उसके बाद से अब तक उस पद पर स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों ने कोई महिला डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की है। बिना महिला डॉक्टर के ही अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के चेकअप का काम चल रहा है। अस्पताल में किसी गर्भवती महिला के भर्ती होने पर स्टाफ नर्स ही डिलीवरी करा रही हैं। यह काम करीब दो साल से चल रहा है। इसे सुखद ही संयोग ही कहेंगे कि अभी तक इस तरह के मामलों में किसी तरह की कोई दुर्घटनाएं नहीं हुई हैं।
152 गांव हैं निर्भर
केसला ब्लॉक का सुखतवा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इकलौता अस्पताल है। इस अस्पताल की बिल्डिंग बहुत अच्छी है मगर मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। इस अस्पताल की महत्ता का अंदाजा इससे लग जाता है कि आसपास के 152 आदिवासी गांव उपचार के लिए इसी सेंटर पर निर्भर हैं। इतने महत्वपूर्ण सेंटर में सुविधाओं के नाम पर चुनिंदा संसाधन स्वास्थ्य विभाग के बड़े-बड़े दावों की पोल खोल रहे हंै। 152 गांव निर्भर होने से सबसे ज्यादा महिलाएं भी इसी अस्पताल में उपचार की मंशा से आती हैं।
इन सुविधाओं की है कमी
-सोनोग्राफी मशीन की कमी ताकि गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी से पहले शिशु की डिटेल ली जा सके।
-सेंटर आने पर महिलाओं की इमरजेंसी में सीजर ऑपरेशन की सुविधा नहीं है।
-डिलीवरी के बाद शिशु को यदि सांस संबंधी परेशानी आ जाए तो शिशु को रखने के लिए एसएनसीयू यूनिट
एक नजर में केसला ब्लॉक
ब्लॉक की स्थापना-1970-72
पंचायतों की संख्या-46
भौगोलिक क्षेत्रफल-38462.2 हैक्टेयर
कितने गांव-152
अस्पताल संख्या-01
किसने क्या कहा
अस्पताल में बाकी सब तो ठीक है मगर यहां महिला डॉक्टर की कमी है। इस गंभीर कमी को दूर किया जाना चाहिए।
भागवती बाई, निवासी केवलारी
इस अस्पताल पर बड़ी आबादी निर्भर है। यहां डिलीवरी भी होती हैं इसलिए एक लेडी डॉक्टर होना चाहिए।
बंटी राठौर, निवासी सुखतवा
डिलीवरी के लिए जब महिलाओं को यहां लाया जाता है तो उनके साथ खतरा बना रहता है। यहां लेडी डॉक्टर की पदस्थापना की जाना चाहिए।
मुबारक खान, निवासी केसला
अस्पताल की बिल्डिंग अच्छी है मगर डॉक्टरों की सुविधा बढऩा चाहिए। महिला डॉक्टर नहीं होने से डिलीवरी कराना खतरनाक हो सकता है।
आकाश कुमार, निवासी जामुनडोल
आपने जो जानकारी दी है वास्तव में वह बहुत गंभीर समस्या है। हम प्रयास करेंगे कि सप्ताह में दो दिन एक लेडी डॉक्टर की ड्यूटी वहां लग सके ताकि जरुरतमंद महिलाओं को उनकी सेवाओं का लाभ मिल सके।
दिलीप कटेहलिया, सीएमएचओ होशंगाबाद