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जन्म कुंडली से जरूरी है स्वास्थ्य कुंडली का मिलान

locationहोशंगाबादPublished: May 08, 2019 09:39:11 pm

Submitted by:

sandeep nayak

थैलेसीमिया दिवस मनाया, बच्चों के साहसा को किया नमन

World thalassemia day event in harda

जन्म कुंडली से जरूरी है स्वास्थ्य कुंडली का मिलान

बैतूल। विश्व थैलेसीमिया दिवस के अवसर पर मां शारदा सहायता समिति ने बुधवार जिला चिकित्सालय में अभिनव कार्यक्रम ‘आओ खुशियां रख आए चुपके से इनके सिराहने में जिन्हें वर्षों लगे है मुस्कुराने मेंÓ आयोजित किया गया। इस दौरान थैलेसीमिया और सिकलसेल बीमारी से ग्रसित वैष्णवी अमझरे 3 साल, दिव्यांशु गाठे 6 साल, अंकित पाल 15 साल, शौरा ठाकुर 3 साल, अंश हरसुले 3 साल को असहनीय दर्द से लडऩे के लिए उनके जज्बे को प्रणाम करते हुए बुधवार सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में थैलेसीमिया से ग्रसित अंकित पाल ने अपना दर्द बया करते हुए बताया कि उन्हें लगभग 250 यूनिट रक्त चढ़ चुका है, हर बार उन्हें दर्द सहना पड़ता है। उन्होंने बताया कि इस बिमारी ने उनकी दो बहनों को उनसे छीन लिया है। संस्था के शैलेन्द्र बिहारिया ने बताया कि इन बच्चों के सम्मान के लिए सिविल सर्जन डॉ. अशोक बारंगा, रक्त चिकित्सा अधिकारी डॉ. यूएल नागले, नेहरू युवा केन्द्र समन्वयक शिवपाल सिंह राजपूत, दीप मालवीय, मोइज फकरी, पिंकी भाटिया, मुकेश गुप्ता, अजय खातरकर, मनोहर मालवी, कोजिम भाई, नीरज गलफट उपस्थित थे। इस दौरान मुकेश गुप्ता ने प्रत्येक बच्चों को स्टील के टिफिन बाक्स, मोइज फकरी ने गर्मी में ठंडे पानी के लिए स्टील की बॉटले, पिंकी भाटिया द्वारा बच्चों में पढ़ाई को प्रोत्साहित करने के लिए ड्राईंग कॉपी, पेंसिल, कोजिम भाई ने ड्रायफुट प्रदान किए गए। इस अवसर पर शिवपाल सिंह राजपूत ने कहा कि इन बच्चों की दर्द की दास्ता सुनकर बच्चों के साहस को नमन करते है। उन्होंने सभी से रक्तदान देकर थैलेसीमिया एवं सिकलसेल से ग्रसित बच्चों के लिए रक्तदान की अपील की। इस दौरान सिविल सर्जन अधिकारी डॉ.अशोक बारंगा ने कहा कि बैतूल जिले में थैलेसिमिया के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं को आगे आने की जरूरत है। जिले में थैलेसीमिया की जागरूकता का आभाव है। इस अवसर पर मनोहर मालवी, शैलेन्द्र बिहारिया व दीप मालवीय ने कहा कि शादी के पूर्व जिस प्रकार जन्म कुंडली का मिलान किया जाता है। उसी प्रकार आज जरूरत है कि जिले में स्वास्थ्य कुंडली का भी वर-वधु मिलान करें। अर्थात वर-वधु चिकित्सालय में जाकर अपने ब्लड की जांच कराए जिससे आने वाले बच्चे को थैलेसीमिया जैसी जानलेवा जैसी बीमारी से बचाया जा सके। गौरतलब है कि थैलेसीमिया बीमारी से ग्रसित अंकित पाल 15 साल को 250 यूनिट, दिव्यांशु गाठे 6 साल को 20 यूनिट, वैष्णवी अमझरे 3 साल को 32 यूनिट, शौरा ठाकुर 3 साल को 20 यूनिट, अंश हरसूले 3 साल को 32 यूनिट रक्त चढ़ चुका है।
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