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World Theater Day: दहलीज लांघ कर देशभर में छाया शहर का रंगमंच

locationहोशंगाबादPublished: Mar 27, 2019 11:43:59 am

Submitted by:

poonam soni

आज डेढ़ इंच ऊपर नाटक की प्रस्तुति

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होशंगाबाद. आज विश्व रंगमंच दिवस है। रंगमंच यानि वह विधा जिसके तिलिस्म में हर कोई अपने आपकों बंधा हुआ महसूस करता है। यह वह कला है, जिसमें पात्र जीवंतता का अहसास कराते हैं। मानवीय जटिलताओं, संवेदनाओं, विचारों, हंसी ठहाकों, वेश-भूषा, मुखौटों के साथ काल्पनिक लेकिन यथार्थ की दुनिया में सैर करते हैं। शहर में ऐसे ही रंगकर्मी है जो कई सालों से ऐसी ही दुनिया की सैर करते आ रहें है। इतना ही नहीं आधुनिक युग में रंगमंच से जुडकर नाम कमा रहे हैं। शहर की कई संस्थाएं भी नाट्य विधाओं से जुड़ी हुई हैं। इनकी नाट्को का मंचन शहर की दहलीज लांघकर देशभर में छाया हुआ है।
कर्मवीर थिऐटर जिन्होनें मुश्किलों से की अपनी कॅरियर की शुरूआत
डोलरिया गांव के रहने वाले कर्मवीर राजपूत जिन्होनें २२ साल की उम्र से थिऐटर से अपने कॅरियर की शुरूआत की। और अब ३१ साल की उम्र से अपना गु्रप चला रहें है। प्राइवेट नौकरी के साथ ३५ बच्चों को नाट्य विधा से जोडऩे का भी काम कर रहे हैं। कर्मवीर बताते हैं कि उन्होनें कई सारी फिल्मों और टेलीविज शो में काम किया। हाल ही में वे खजुराहो का शिल्पी प्रोडक्शन पर काम कर रहे हैं। इसके बाद मुम्बई में निर्देशन का भी काम किया। इसके अलावा पांच फिल्म, दो फिचर फिल्म, टेकाट्रिक मेजिक शो जो ॅडूबा शो पार, यकशा, पीक अ ट्रेक फॉर नेक, बीसारा, दीदी दोस्त, बंक में काम कर चुके हैं।
युवा उत्सव के द्वारा शहर के युवा भी रंगमंच से जुड़ रहे हैं
विद्यार्थी वैभव पालीवाल, शुभम खां ऋषभ खां ये शहर के छोटे युवा कलाकार के रूप में उभर कर आ रहे है। यह सभी स्टेज आर्टिस्ट तो कोई मिमिक्री, स्क्रीप्ट राइटिंग, डविंग बनाना जैसे काम में एक्पर्ट हैं। शुभम, ऋषभ का गु्रप इटारसी, बिहार, झारंखंड, बेस्ट बेंगोल, महाराष्ट्र में जीवन दान, शिक्षक का महत्व, शहीद भगत सिंह, नरेन्द्र मोदी, सफाई अभियान, सतना, खजूर जैसे ड्रामा कर चुके हैं। इनकी शुरूआत शहर के थिऐटर रत्नेश थिऐटर से की।
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