आरोपी 12 मई 2008 को अपहरण के बाद दीपू को एक चार पहिया वाहन से सागर मालथौन के रास्ते झांसी ले जा रहे थे। दीपू रास्ते में बार-बार चिल्ला रहा था, इससे परेशान होकर आरोपियों ने सागर के पास पहाड़ के झिकरी घाट पर दीपू की गोली मारकर हत्या कर दी थी और पहाड़ पर उसकी लाश फेंक दी थी। बाद में सागर पुलिस ने पहाड़ पर मिली लाश को बरामद किया। लाश के पास मिले परिचय पत्र के आधार दीपू की शिनाख्त हुई थी।
ग्रामीणों ने पुलिस को घेरा
इटारसी पुलिस के अनुसार आरोपी राजकुमार उपाध्याय टोला गांव का सरपंच बन चुका है। जब उसे पकडऩे घेराबंदी की गई तो ग्रामीणों ने इसका विरोध किया। टीआई आरएस चौहान ने बताया कि गांव वालों के विरोध को देखते हुए आरोपी के लिए भिंड के कोर्ट में पेश किया गया। इसके बाद प्रोटेक्शन वारंट पर उसे इटारसी लेकर आए हैं। चौहान के अनुसार यह बड़ा मामला था और क्राइम मीटिंग में हमेशा ही उठता था इसलिए मामले पर कई दिनों से नजर थी।
मामले के आरोपी परमसुख बंशकार को भिंड पुलिस ने 12 बोर की बंदूक के साथ घूमते पकड़ाया था। इस पर आम्र्स एक्ट का मुकादमा दर्ज कर पूछताछ की गई तो उसने 2008 में की गई हत्या के मामले में शामिल होने के बात कबूल की है। इसके बाद इटारसी पुलिस को राजकुमार उपाध्याय के बारे में जानकारी मिली। अभी इस मामले में नरेंद्र भारद्वाज और विनय पिता रामबिहारी फरार हैं। जबकि नरेश भारद्वाज और शैलेंद्र भारद्वाज न्यायालय से बरी हो चुके हैं।
यह है पूरा मामला
पुरानी इटारसी निवासी दीपू उर्फ कुलदीप महाला की दोस्ती भिंड निवासी नरेंद्र भारद्वाज, शैलेंद्र भारद्वाज और नरेश भारद्वाज से थी। तीनों आरोपी आपस में भाई थे। आरोपियों के पिता आबकारी विभाग में थे। यह तीनों भाई तत्कालीन समय में पुरानी इटारसी में रहकर पढ़ाई करते हुए नौकरी खोज रहे थे। इसी बीच तीनों की दोस्ती दीपू से हुई। बाद में दीपू और आरोपी किसी काम में पार्टनर हो गए। परिवार के इकलौते बेटे दीपू से मिलकर आरोपियों की नियत बिगड़ गई और उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से दीपू का अपहरण कर लिया था। इस वारदात में तीनों भाइयों के साथ भिंड के राजकुमार उपाध्याय, परमहंस बंशकार और विनय पिता रामबिहारी भी शामिल थे। नरेश भारद्वाज और शैलेंद्र भारद्वाज की गिरफ्तारी पहले हो चुकी है जो बरी भी हो चुके हैं।