सीधे तौर पर नुकसान लीची के कारोबारी ने सोचा था कि इस बार लीची की पैदावार भरपूर है तो पिछले 3 सालों का घाटा पूरा हो जाएगा। इस बार लीची भरपूर मात्रा में हुई है। इस बार लग रहा था कि मानो लीची कारोबार मुनाफे में जाएगा। अचानक कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन के चलते यूपी, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, मुंबई, दिल्ली का कोई भी ठेकेदार उन तक नहीं पहुंच पाया है। यहां तक कि लेबर भी वापस चली गई है। ऐसे में पठानकोट के लीची उत्पादकों को सीधे तौर पर भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसी आशंका जाहिर की जा रही है कि लीची उगाने वाले किसान बागबानी छोड़ दूसरी खेती करने पर मजबूर हो जाएंगे।
खेती छोड़ लीची के बाग लगाए पठानकोट के गांव मियामी के बांके मलिक ठाकुर राजेंद्र सिंह ने कहा कि उनके गांव के इर्द-गिर्द करीब 500 एकड़ में लोगों ने खेती छोड़ लीची के बाग लगाए। 15 से 20 साल में लीची का फल बेचने लायक होता है। जहां लीची लगाई जाती है वहां कोई और चीज पैदा नहीं हो पाती। वह कहते हैं कि वह कई राज्यों के ठेकेदारों को हर साल अपना बाग ठेके पर दे देते हैं, पर इस बार तो कोई ठेकेदार आया ही नहीं तो ठेका किस ठेकेदार को दें। लीची की फसल पकने को है। यह सिर्फ 15 और 20 दिन की फसल होती है। किसी भी चीज की कटाई, छँटाई सब कुछ तैयारी कर इसे मंडियों में भेजते हैं। फिर जाकर इसे खरीदार खरीदते हैं।
ठेकेदार को आने दें या मुआवजा दिया जाए
ठेकेदार को आने दें या मुआवजा दिया जाए
गांव मुरादपुर के किसान किसन सिंह कहते हैं कि उनका बाग 9 एकड़ में लगा हुआ है। हर साल उनकी लीची देश विदेश में बिकती है। लॉकडाउन के चलते अबकी कोई खरीदार आया ही नहीं। अब लीची को कहां ले जाएं, इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए लीची उत्पादकों ने पंजाब सरकार से गुजारिश की है कि या तो ठेकेदारों को यहां तक आने की सुविधा दी जाए या फिर उन्हें लीची के हो रहे इस नुकसान का मुआवजा दिया जाए।