बच्ची के पिता ने बताया कि 19 जुलाई को अचानक उन्हें और उनकी पत्नी को बुखार आ गया। जबक उनकी 10 महीने की बेटी की पसलियों में जकड़न जैसी दिक्कत हुई। दो दिन तक घर में आराम करने के बाद भी जब दिक्कत दूर नहीं हुई तो वे 21 जुलाई को संयुक्त जिला अस्पताल पहुंचे। यहां उन्हें कोरोना के जांच की सलाह दी गई। तीनों सदस्यों की टेस्टिंग हुई। जिसकी रिपोर्ट 3 दिन बाद आई। टेस्टिंग के नतीजे सुनते ही उनके होश उड़ गए। डॉक्टरों ने बताया कि बच्ची की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जबकि उसके माता—पिता नेगेटिव पाए गए हैं।
एहतियात के तौर पर प्रशासन की ओर से उनके घर को सील कर दिया है। घर में रहने के चलते उनकी पत्नी और ब्च्ची का इलाज नहीं हो पा रहा था। ऐसे में शख्स ने सीएमओ से मदद की अपील की। नतीजतन उन्हें कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां उन्हें आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। हालांकि शख्स अस्पताल प्रबंधन की व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि बच्ची को अलग वार्ड में रखा जाना चाहिए। क्योंकि गर्भवती महिला मरीजों के बीच रहने से उसकी स्थिति ज्यादा खराब हो सकती है। वहीं इस बारे में चिकित्सकों का कहना है कि इतनी छोटी उम्र की बच्ची को कोरोना वायरस संक्रमण नहीं हो सकता है। ये बच्ची की कमजोर इम्युनिटी या समय पर सारे टीके न लगने के चलते हो सकता है।