मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चांद मोहम्मद ने बताया कि उसके बड़े भाई पहले किसी दुकान पर काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन में उनकी नौकरी छूट गई। ऐसे में परिवार का गुजारा मुश्किल हो गया। क्योंकि घर में उसकी तीन बहनें और माता-पिता है। साथ ही एक भाई भी। ऐसे में घर का खर्च उठाने के लिए उसने एलएनजेपी अस्पताल में सफाई करने के काम में लग गया। यहां अब वह दोपहर 12 बजे से रात आठ बजे तक कोरोना से मरने वालों के शव उठाता है।
लॉकडाउन के चलते रोजगार छिन जाने से चांद मोहम्मद के घर खाने की भी दिक्कत हो गई थी। मुश्किल से घर में एक वक्त का खाना बन पाता था। ऐसे में चांद को तुरंत किसी काम की जरूरत थी। इसी वजह से उसने शवों को उठाने का काम किया। उसका कहना है कि संक्रमित मरीजों के बीच रहने और शव उठाने के चलते उसे कोरोना का खतरा है, लेकिन घरवालों के लिए वह कुछ भी कर सकता है। हालांकि उसने कहा कि शव उठाने और उसे मुर्दाघर तक पहुंचाने में वह पीपीई किट पहनता है।
चांद ने बताया कि उसकी तीन बहने स्कूल में पढ़ती हैं। साथ ही वह खुद भी अपनी 12 वीं में है। मगर रुपए न होने की वजह से वह पिछली बार फीस नहीं दे पाया था। मगर इस काम से उसे ठीक-ठीक रुपए मिल जाते हैं। जिससे उसके हौंसलों को उड़ान मिली है। उसका कहना है कि उसे खुद पर पूरा भरोसा है, इसलिए वह हर काम को पूरे मन से करता है।