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23साल के शिक्षक के चेहरे को देख आप भी हो जाएगें हैरान, ये बच्चा है या जवान

locationनई दिल्लीPublished: Oct 01, 2019 04:01:40 pm

Submitted by:

Pratibha Tripathi

दाढ़ी मुछे नहीं आने के कारण
शिक्षक हमेशा छात्रों का रोल मॉडल होना चाहिए

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नई दिल्ली। हर लड़को में दाढ़ी-मूंछ का आना उनके लिये जंवा होने की पहली सीढ़ी होती है। आजकल के युवा भी दाढ़ी और मूंछ को एक फैशन के तौर पर लेते हुए अपने चेहरे पर इसका ताव देना ही अपनी शान समझते हैं। लेकिन यदि चेहरे पर इनकी उपज ही ना हो ते चेहरा कैसा लगेगा। तो हम आपको बताते है फिलीपींस में पढा रहे एक टीचर के बारे में
फिलीपींस के 23 साल के शिक्षक बच्चों की तरह दिखते हैं। जब भी वो अपने छोटे-छोटे छात्रों के बीच होते है तो उनको पहचानना भी मुश्किल हो जाता है। क्योंकि उनके हाथों की लंबाई के साथ चेहरा,बाल,यहां तक कि आवाज भी बच्चों की तरह है। जब वो खड़े होते है तब वो पहचाने जाते है हालांकि, कद इनका बढ़ कर पांच फीट के करीब है।

फ्रांसिस फिलीपींस के मोंटे सिटी के सेन जोस डेल स्कूल के किंडरगार्टन सेक्शन के हेड हैं। लेकिन इतनी उम्र होने पर भी वह बच्चों की भांति दिखते है। जिससे सभी के मन में प्रश्न उठता है कि आखिर फ्रांसिस के चेहरे पर दाढ़ी-मूंछ क्यों नहीं आई। इसके लिए वह कभी डॉक्टर के पास नहीं गए।
जानकारी के अनुसार फ्रांसिस का कहना है कि मैंने इसे जरूरी नहीं समझा, क्योंकि पढ़ाई के दौरान उनके साथ रहे साथियों ने कभी उनका मजाक नहीं उड़ाया। वे मानते हैं उनमें सभी तरह के हार्मोनल बदलाव हुए हैं। इसलिए अभी तक वह अपने हम उम्र साथियों जितने जवान नहीं दिखते हैं।

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शिक्षक हमेशा छात्रों का रोल मॉडल होना चाहिए

फ्रांसिस कहते हैं, भले ही मेरे शरीर में यह कमजोरी है लेकिन इसे मैने अपनी मजबूरी कभी नही माना। बल्कि एक अच्छे टीचर के रूप में मैने बच्चों को इस तरह से शिक्षा देने की कोशिश की है जिससे वो मुझे टीचर नहीं, बल्कि एक बड़ा भाई समझे। मेरे चेहरे को देखकर अक्सर लोग मुझे शिक्षक नहीं समझ पाते हैं। इसलिये लोग कन्फ्यूज न रहे इसके लिये मैं हमेशा थोड़े बड़े और खुले कपड़े पहनता हूं। चश्मा लगाता हूं और लेदर के जूते पहनता हूं। मैं समझता हूं कि एक टीचर होने के नाते आपको बच्चों का रोल मॉडल होना चाहिए। चेहरा कैसा भी हो, फर्क नहीं पड़ता।
अब कुछ लोग लिटिल बॉय बुलाते हैं

फ्रांसिस बताते हैं, जब भी मैं छात्रों को क्लास में पढ़ाता हूं तो गंभीर होता हूं। ताकि वे मुझे गंभीरता से लें और टीचर-स्टूडेंट के रिश्ते को समझ सकें। बचपन में मेरे क्लासमेट्स ने कभी भी मुझे मेरे चेहरे या आवाज के कारण परेशान नहीं किया। हालांकि, तब कुछ लोग थे जिन्हें मेरा मजाक बनाना पसंद था। अब भी ऐसे लोग हैं, जो मुझे लिटिल बॉय कहकर चिढ़ाते हैं। इस ऐसे लोगों पर ध्यान नहीं देता। वे मेरा मजाक मेरी हिम्मत तोड़ने के लिए करते हैं, लेकिन असल में वे मेरी ही मदद करते हैं, ताकि मैं बिना डरे और घबराए उनका सामना करूं और अपनी अलग पहचान बनाऊं।

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