करना चाहते है बेहतर
एक रिपोर्ट के अनुसार, 31 वर्षीय जोरावर पुरोहित लंबे वक्त से एक डाइविंग इंस्ट्रक्टर हैं। वह अंडमान में रहते हैं। यहां द्वीप पर प्लास्टिक कचरे का अंबार देख उन्होंने कुछ करने का विचार किया। उन्होंने तय किया कि इनका उपयोग कर पर्यावरण को नुकसान बचाया जा सके। डाइविंग इंस्ट्रक्टर के साथ जोरावर, टूर गाइड का भी काम करने लगे। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके कस्टमर्स हमेशा उनसे यहां के अच्छे रिसोर्ट, खाने के बारे में पूछते थे। तब उनको रहने और खाने के लिए बेहतर इंतजाम करने का सोचा।
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प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग की व्यवस्था नहीं
उनका कहना है कि द्वीप पर अधिकांश कंस्ट्रक्शन कार्यों के दौरान बड़े पैमाने पर जंगलों को बर्बाद कर दिया जाता है। इस वजह से यहां प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है और इससे पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। इसलिए मैं कुछ अलग करने का विचार किया। वह बताते हैं कि अंडमान 580 द्वीपों से मिलकर बना है। यहां प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है। इस तरह उन्हें आउटबैक हैवलॉक रिसोर्ट बनाने का विचार आया।
एक करोड़ का किया निवेश
जोरावर ने साल 2017 में अपने तीन दोस्तों अखिल वर्मा, आदित्य वर्मा और रोहित पाठक के साथ मिलकर आउटबैक हैवलॉक शुरू किया। उन्होंने 5 लाख बेकार बोतलों को जमा करने के अलावा, 500 किलोग्राम रबर वेस्ट को भी जमा किया। जहां बोतलों का इस्तेमाल लग्जरी कमरों को बनाने के लिए किया गया। वहीं रबर से रिसोर्ट में फुटपाथ बनाया गया। इस होटल को बनाने के लिए उन्होंने 1 करोड़ रुपये का निवेश किया। फिलहाल, वह इससे सालाना 1.5 करोड़ रुपये का कारोबार करते हैं।