1- टोबा टेक सिंह सआदत हसन मंटो द्वारा लिखी गई और 1955 में प्रकाशित हुई एक प्रसिद्ध लघु कथा है। यह भारत के विभाजन के समय लाहौर के एक पागलखाने के पागलों पर आधारित है और समीक्षकों ने इस कथा को पिछले 50 सालों से सराहते हुए भारत-पाकिस्तान संबंधों पर एक “शक्तिशाली तंज” बताया है।
2- 20वीं सदी के लेखक कमलेश्वर प्रसाद सक्सेना ने मंटो को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ कहानीकार बताया था।
3- इसी तरह ‘ठंडा ग़ोश्त’, ‘काली सलवार’ और ‘बू’ नाम की कहानियों पर पाबंदिया लगाई गई। “भीड़, रेप और लूट की आंधी में कपड़े की तरह जिस्म भी फाड़े जाते हैं हवस और वहश का ऐसा नज़ारा जिसे देखने के बाद खुद दरिंदे का सनकी हो जाने की कहानी है ‘ठंडा गोश्त’।”
4- मंटो को चाहने वालों की मानें तो वह भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के बाद अपने होश खो बैठे थे। बंटवारे के बाद उन्होंने ‘खोल दो’ लिखी थी।
5- मंटो पर हर बार अश्लील होने का इल्ज़ाम लगता रहा। पाबंदियां लगाई जाती हैं। उन्हें बतौर कहानीकार इन्हीं पाबंदियों का फायदा हुआ।