हाल ही में ग्रेटा थनबर्ग ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी वीडियो संदेश भेजकर जलवायु परिवर्तन पर गंभीर कदम उठाने की मांग की। जिसके लिये मोदी नें इस बात को समझते हुये इस पर विचार किया।
लेकिन यह समस्या किसी एक देश की ही नही ,बल्कि पूरी दुनिया की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। जिसके लिये हमारे देश की एक छोटी से बच्ची नें इस कार्य की जिम्मेदारी अपने नन्हें कंधो पर ले ली है। मणिपुर की सात साल की बच्ची लिसेप्रिया कंगुजम अब भारत को नई दिशा देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। लिसेप्रिया कंगुजम स्विट्जरलैंड (Switzerland) के जिनेवा (Geneva) में संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करने जा रही है। लिसेप्रिया अभी दूसरी कक्षा की छात्रा है। यह 13 से 17 अप्रैल को आयोजित होने वाले छठे सत्र के आपदा जोखिम न्यूनीकरण 2019 (Global Platform for Disaster Risk Reduction 2019) में हिस्सा लेने जा रही है। कार्यक्रम का विषय “रेजिलिएंट डिविडेंड टुवर्ड्स सस्टेनेबल एंड इनक्लूसिव सोसाइटीज” है। लिसेप्रिया इस कार्यक्रम में सबसे कम उम्र की प्रतिभागी होगी जो संयुक्त राष्ट्र कार्यालय द्वारा आयोजित आपदा जोखिम न्यूनीकरण (यूएनआईएसटी) का हिस्सा बनेंगी।
लिसेप्रिया कंगुजम नाम की यह छोटी सी बच्ची एशिया के सभी बच्चों और युवाओं का प्रतिनिधित्व करेंगी। यह अभी अंतर्राष्ट्रीय युवा समिति (IYC) में बाल आपदा जोखिम न्यूनीकरण अधिवक्ता (Child Disaster Risks Reduction Advocate) के रूप में काम कर रही हैं। इस राष्ट्र ग्लोबल प्लेटफ़ॉर्म 2019 में 140 देशों के लोग जिसमें विभिन्न सरकारी, गैर-सरकारी, रेडक्रॉस की राष्ट्रीय समितियों, अकादमियों, बच्चों और युवा संगठनों और अन्य लोगों के 3000 से अधिक प्रतिनिधियों के हिस्सा लेने की उम्मीद है।
लिसेप्रिया ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने मन की बात को शेयर करते हुए कहा था कि “मुझे डर लगता है जब मैं टीवी पर भूकंप, बाढ़ और सुनामी के कारण लोगों को मरते हुए देखती हूं। जिसमें बच्चे अपने माता-पिता को खोते हैं या लोग आपदाओं के खतरों के कारण बेघर हो जाते हैं तो मुझे रोना आता है। मैं सभी से आग्रह करती हूं कि आप सब मेरी मदद करें,दिमाग और जुनून के साथ एक होकर इस दुनियां को बेहतर बनाने की कोशिश करें।