सतयुग की शबरी की तरह आज के जमाने की उर्मिला चतुर्वेदी ने भी प्रभु श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए संकल्प लिया था, जो अब 28 साल बाद पूरा होने जा रहा है। इससे वह काफी खुश हैं। बताया जाता है कि साल 1992 में जब मंदिर को लेकर विवाद हुआ था तभी उर्मिला ने अपने मन में संकल्प लिया था कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम शुरू न हो जाए, तब तक वह अन्न ग्रहण नहीं करेंगी। वक्त के साथ उनका शरीर भले ही कमजोर हो गया, लेकिन उनके हौंसले और बुलंद होते चले गए। आखिरकार उनके विश्वास की जीत हुई और प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से मंदिर निर्माण की नींव रखी गई।
जबलपुर के विजय नगर इलाके की रहने वाली उर्मिला चतुर्वेदी ने पिछले 28 वर्षों से अन्न एक एक दाना तक ग्रहण नहीं किया। वह सिर्फ फलाहार पर जीवित हैं। कोरोना संक्रमण के चलते राम मंदिर के भूमि पूजन में अयोध्या न पहुंच पाने का उन्हें काफी अफसोस है, लेकिन उन्होंने टीवी पर सीधा प्रसारण देख खुद को राम की नगरी में ही मौजूद पाया। उनकी इच्छा है कि राम मंदिर के पूरी तरह से बन जाने के बाद वह वहां पहुंचे और सरयू नदी में डुबकी लगाएं। लोगों में प्रसाद का वितरण करें, इसके बाद ही वह अपने इस लंबे उपवास को तोड़ेंगी। आज के जमाने में प्रभु श्रीराम के लिए उर्मिला की सच्ची भक्ती देख हर कोई उन्हें प्रेरणादायी बता रहा है।