script9 साल पहले भी राम मंदिर पर अदालत ने सुनाया था ये बड़ा फैसला, हिंदी बेल्ट रहा था पूरी तरह शांत | 9 years ago the court gave this big decision on Ram mandir | Patrika News

9 साल पहले भी राम मंदिर पर अदालत ने सुनाया था ये बड़ा फैसला, हिंदी बेल्ट रहा था पूरी तरह शांत

locationनई दिल्लीPublished: Nov 08, 2019 12:20:45 pm

Submitted by:

Prakash Chand Joshi

9 साल पहले आया था ये बड़ा फैसला
सरकार ने की थी पूरी तैयारियां

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नई दिल्ली: इस समय देश के हर कोने में सिर्फ एक ही चर्चा है और वो है अयोध्या फैसले की। कभी भी अयोध्या केस का फैसला आ सकता है। देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अपना फैसला सुनाएगा। फैसले से पहले उत्तर प्रदेश से लेकर देश के सभी कोनों में केंद्र सरकार और राज्यों सरकारों द्वारा तैयारियां पूरी कर ली गई है, ताकि किसी भी तरह का कोई उत्पात न मचा सके। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब 9 पहले राम मंदिर पर अदालत ने फैसला सुनाया था। तब यूपी का क्या हाल था?

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डर रहे थे हिन्दी बेल्ट के लोग

9 साल पहले यानि 30 सितंबर 2010 को हाई कोर्ट का राम मंदिर मुद्दे पर फैसला आना था। हर तरफ लोगों को डर था आखिर क्या होगा? किसी अनहोनी का डर भी लोगों को सता रहा था। मतलब कुल मिलाकर जैसा अभी माहौल बना हुआ है ठीक उसी तरह का डर उत्तर प्रदेश समेत हिन्दी बेल्ट राज्यों में था। उन दिनों यूपी की मुख्यमंत्री मायावती थी और इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के 3 जजों को फैसला सुनाना था। सब इस बात को अच्छे से जानते थे कि इस फैसला का असर यूपी समेत हिन्दी बेल्ट राज्यों में होगा। सरकारों के सामने चुनौती थी कि किसी भी तरह के धर्म से जुड़े झगड़े न हो। माहौल शांत रहे। आखिर इतना बड़ा फैसला जो आना था।

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शांत रहा हिंदी बेल्ट

वहीं हाई कोर्ट का फैसला आया, लेकिन सबसे खास बात रही कि यूपी के किसी गांव, कस्बे, शहर और यहां तक कि हिंदी बेल्ट राज्यों में को कोई विवाद, सांप्रदायिक तनातनी की एक भी खबर नहीं आई। न तो किसी ने जश्न मनाया, न ही किसी ने मात और न हीं कहीं पर कोई हिंसा हुई। अयोध्या पर इतने बड़े फैसले के लिए सरकार द्वारा कड़े इंतजाम किए गए थे। मायावती ने राज्य के कैबिनेट सेक्रेटरी शसांक शेकर सिंह को पूरी जिम्मेदारी सौंपी थी और करमवीर सिंह डीजीपी थे। केंद्रीय पुलिस बल की 50 कंपनी तैनात थी। पुलिस तैनात थी। हर चीज पर पैनी नजर थी। ऐसे में हिंदी बेल्ट के राज्य पूरी तरह शांत रहे। लेकिन इस बार के फैसले के बाद हिंदी बेल्टों में क्यो होगा, ये तो वक्त ही बताएगा।

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