Executioner In Tihar Jail : तिहाड़ जेल में है जल्लादों की कमी, आखिरी बार अफजल गुरू को दी गई थी फांसी
निर्भया कांड के दोषियों की दया याचिका खारिज होने के बाद फांसी की तारीख जल्द हो सकती है तय
नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप केस (Nirbhaya Case) में इंसाफ के लिए पीड़िता के परिजन से लेकर पूरा देश टकटकी लगाए हुए है। मगर अपराधियों को फांसी पर चढ़ाने के लिए तिहाड़ जेल के पास जल्लाद (Executioner) नहीं है। ऐसे में एक हेड कॉस्टेबल (Head Constable) आगे आया है। वो गुनहगारों को फांसी (Hanged Till Death) पर लटकाने के लिए पुलिस की नौकरी की जगह जल्लाद बनना पसंद करेगा। इसके लिए उसने जेल प्रशासन से इसकी पेशकश भी की है।
दादा-दादी की समाधि के पास दफन होगा उन्नाव पीड़िता का शव मालूम हो कि कुछ दिन पहले ये बात सामने आई थी कि निर्भया कांड के आरोपियों की दया याचिका खारिज होने के बाद जल्द ही उनकी फांसी की तारीख तय हो सकती है। मगर जेल प्रशासन के पास इस वक्त जल्लाद नहीं है। इसी के चलते तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के हेड कांस्टेबल सुभाष श्रीनिवास ने जल्लाद बनने का फैसला किया है।
सुभाष श्रीनिवास का कहना है,’मैं तिहाड़ जेल में जल्लाद के तौर पर काम करना पसंद करूंगा। इस काम के लिए उन्हें किसी तरह का भुगतान नहीं चाहिए। निर्भया मामले में दोषियों को फांसी पर लटकाया जाना चाहिए।’ बता दें कि तिहाड़ जेल प्रशासन के पास काफी अरसे से जल्लादों की कमी है। साल 1989 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी पर लटकाने के लिए तिहाड़ जेल के पास औपचारिक तौर पर जल्लाद थे। मगर इसके बाद अफजल गुरू को सूली पर लटकाने के लिए उन्होंने अनौपचारिक तौर पर जल्लाद तैनात किए थे। उसका नाम गुप्त रखा गया था।