दरअसल, मामला केरल के थ्रिसुर जिले का है। एडम हैरी यहीं रहते हैं। वह देश के पहले ट्रांसजेंडर हैं, जिनके पास प्राइवेट पायलट लाइसेंस है। उन्होंने 2017 में जोहान्सबर्ग में ट्रेनिंग के बाद यह लाइसेंस प्राप्त किया था। वे एक कमर्शियल पायलट बनना चाहते थे। लेकिन वो अपने घर में इस बात को बता पाते उससे पहले घर वालों को उनके ट्रांसजेंडर का पता तल गया। इसके बाद उनके माता-पिता ने उन्हें घर में कैद कर दिया। उस समय वह केवल 19 साल का थे।
मीडिया से बात करते हुए हैरी ने बताया, मेरे परिवार ने करीब एक साल तक मुझे घर के अंदर कैद कर रखा। इस दौरान मुझे फिजिकली और मेंटली टॉर्चर भी किया गया। इसके बाद मुझे घर से निकाल दिया गया। हैरी ने आगे बतया कि घर से निकाले जाने के बाद मैं एर्नाकुलम पहुंचा जहां पर मुझे अपने ही जैसे कई ट्रांसजेंडर मिले। उस वक्त मेरे पास कुछ भी सामान नहीं था क्योंकि घर से निकलते वक्त मैं खाली हाथ ही था। मैंने कई रातें बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर गुजारीं। मेरे पास खाने तक के पैसे नहीं थे। मैं कई रात भूखा ही सोया। इसके बाद मैने एक जूस की दुकानों पर काम करने लगा। इसके बाद मुझे एविएशन एकेडमिक्स संस्थाओं में पार्ट टाइम की नौकरी मिल गई। यहां भी मेरे साथ भेद-भाव होता था।
इसके बाद हैरी ने सोशल जस्टिस डिपार्टमेंट से संपर्क किया जहां उन्हें पढ़ाई के लिए एक अच्छी एविएशन एकेडमी को ज्वाइन करने की सलाह दी गई। इसके बाद वह राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन एंड टेक्नोलॉजी ज्वाइन किया। अब केरल सरकार ने एडम के टैलेंट को पहचानते हुए उसकी मदद करने के लिए कदम आगे बढ़ाया है। सरकार एडम की सारी ट्रेनिंग का ख़र्च उठाएगी। राज्य सामाजिक न्याय विभाग ने 23.34 लाख रुपये का खर्च उठाएगी।