2016 में बुरहान वानी को मार गिराए जाने के बाद पहली बार आतंकवाद का आकर्षण पैदा करने में इंटरनेट की भूमिका उजागर हुई। वानी की हत्या के बाद उसको सोशल मीडिया पर उभारा गया जिसके बाद वह मशहूर हो गया और अनेक युवाओं को हथियार उठाने को प्रेरित करने के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया।युवाओं के आतंकी बनने की प्रवृति के मद्देनजर 15 कोर कमांडर कंवल जीत सिंह ढिल्लों ने घाटी में माताओं को चेताया कि वे अपने बेटों को हथियार नहीं उठाने दें क्योंकि सेना उनको मार गिराएगी।
अधिकारियों ने बताया कि वैश्विक इस्लामिक साहित्य आसानी से उपलब्ध हो रहा है। एजेंसियां एक दर्जन से अधिक ऐसी वेबसाइट का अनुसरण कर रही हैं जिनपर घाटी में काफी अधिक लोग संपर्क करते हैं। अक्सर देखा जाता है कि शहादत की सांस्कृतिक परंपरा का गुणगान किया जाता है जो उन्माद तक ले जाता है। धार्मिक आतंकवाद का सक्रियता से प्रचार करने वाली पाकिस्तानी खुफिया संस्था आईएसआई भावनाओं को भड़काती है। आतंकवाद का अड्डा माने जाने वाले पूरे दक्षिण कश्मीर में कट्टरता की लहर चल रही है, स्मार्टफोन रखने वाले युवाओं की नई पीढ़ी सेना पर पत्थरबाजी करने या हथियार उठाने को प्रेरित हो रही है। पूरे क्षेत्र में मदरसे भी खुल गए हैं जहां स्थानीय कश्मीरियों के बजाए देवबंद के शिक्षक धार्मिक शिक्षा दे रहे हैं।