जैन ने बताया कि दूध में वसा की मात्रा 5 प्रतिशत निर्धारित की गई है। लेकिन जांच किए गए नमूनों में वसा सिर्फ 3 प्रतिशत ही मिली। यदि दूध में वसा कम मात्रा में है तो इसका सीधा मतलब यही है कि इसमें पानी की मिलावट की गई है। दूध के कुल 21 सैंपल में से ज़्यादातर मिलावटी ही मिले हैं। जैन ने मीडिया के बातचीत में बताया कि दुग्ध उत्पादन की जांच प्रक्रिया चलती रहेगी। इसके साथ ही अब दिल्ली सरकार पनीर और खोया की भी जांच कराने का मन बना रही है।
बताते चलें कि दिल्ली के अलग-अलग जगहों से कुल 177 सैंपल इकट्ठे किए गए थे। जिनमें से 165 के परिणाम आए हैं। और इन्हीं 165 में से 21 सैंपल के नतीजे उम्मीद से परे निकल कर आए हैं।