बात इसी साल अप्रैल महीने से शुरू होती है, जब दिल्ली में मजदूरी करने वाला कृष्णमुरारी बीमारी की वजह से अपने घर बिहार के समस्तीपुर लौट जाता है। पत्नी सेवा करती है, लेकिन तबीयत बिगड़ती ही जाती है। वह डॉक्टर के पास जाता है। जांच में पता चला है कि वह टीबी का शिकार हो गया।
अब घर में एंट्री होती है कृष्णमुरारी के चाचा और चाची की, जो तंत्र—मंत्र और झाड़फूंक करते हैं। कृष्णमुरारी की पत्नी अपने पति को बचाने के लिए उसे अस्पताल में भर्ती कराने का फैसला लेती है, लेकिन तांत्रिक चाचा और चाची उसे ऐसा करने से रोक देते हैं। वह कहते हैं कि झाड़फूंक से भतीजे की तबीयत बिल्कुल ठीक कर देंगे और अपने साथ घर ले जाते हैं। तांत्रिक चाचा—चाची अपने घर में बंद कर तांत्रिक क्रियाएं की जाती थी। उसकी सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। डॉक्टर के पास जाने की बात सुनकर भड़के चाचा-चाची युवक को ठीक करने का भरोसा देकर हर बार रोक लेते थे।