पृथ्वी के करीब से गुजरेगा
नासा के अनुसार, इसकी रफ्तार 46,500 किलोमीटर प्रतिघंटे रह सकती है।यह 24 जून को दोपहर 12.15 बजे पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा। पृथ्वी से इसकी दूरी करीब 37 लाख किलोमीटर दूर होगी। लेकिन, नासा का कहना है कि इस उल्कापिंड से धरती को कोई खतरा नहीं है। दरअसल, वैज्ञानिक पृथ्वी के 75 लाख किलोमीटर से कम दूरी पर गुजरने वाले सभी एस्टेरॉयड्स को धरती के लिए खतरनाक मानते हैं। अंतरिक्ष से आने वाले इन खगोलीय पिंडों को नीयर अर्थ ऑबजेक्टस ( NEO ) कहते हैं।
इससे पहले भी गुजर चुके है एस्टेरॉयड
जून में उल्कापिंड के धरती के करीब से गुजरने की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी कई उल्कापिंड ऐसे थे, जिनको लेकर नासा ने अलर्ट जारी किया था। 6 जून को 570 मीटर व्यास का एक उल्कापिंड पृथ्वी के करीब से गुजरा था। 8 जून को भी 2013एक्स22 उल्कापिंड, जिसकी रफ्तार 24,050 किलोमीटर प्रतिघंटा थी, धरती के 30 लाख किलोमीटर दूर से निकला था।
खतरनाक हो सकते है उल्कापिंड
नासा के मुताबिक, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले खगोलीय पिंडों को उल्कापिंड कहते हैं। कई बार यह पृथ्वी के लिए नुकसानदायक होते हैं। 2013 में रूस में चेल्याबिंस्क उल्कापिंड गिरा था, जिससे भारी तबाही मची थी। उस दौरान करीब 1 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे। वहीं, हजारों घरों की खिड़कियां और दरवाजे क्षतिग्रस्त हो गए थे।