scriptधारी देवी के दर्शन के बिना अधूरी रहती है ब्रदीनाथ की यात्रा | Badrinath Yatra is Incomplete without Darshan of Dhari Devi | Patrika News

धारी देवी के दर्शन के बिना अधूरी रहती है ब्रदीनाथ की यात्रा

locationनई दिल्लीPublished: Jan 05, 2020 03:36:03 pm

Submitted by:

Soma Roy

Dhari Devi temple Uttarakhand : उत्तराखंड के कलियासौड़ इलाके में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है मंदिर

Dhari Devi temple Uttarakhand

Dhari Devi temple Uttarakhand

नई दिल्ली। चार धाम की यात्रा में बद्रीनाथ (Badrinath) का विशेष महत्व है। माान्यता है कि यहां दर्शन करने वालों को जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए जीवन में एक बार यहां दर्शन करने जरूर जाना चाहिए। मगर क्या आपको पता है बद्रीनाथ से भी ज्यादा जरूरी धारी देवी (Dhari Devi) के दर्शन हैं। क्योंकि इनके बिना बद्रीनाथ धाम की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती है।
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बताया जाता है कि देवी मां का मंदिर उत्तराखंड (Uttarakhand) के कलियासौड़ इलाके में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। उन्हें यहां का रक्षक माना जाता है। महंत का कहना है कि मंदिर 1807 से भी कई साल पुराना है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार प्राकृतिक आपदा (pralay) के दौरान माता का मंदिर पूरी तरह बह गया था, लेकिन एक चट्टान से सटी मां की प्रतिमा धारों नाम के गांव में सुरक्षित अवस्था में मिली थी। तभी से गांववालों ने यहां धारी माता का मंदिर बना दिया। मान्यता है कि बद्रीनाथ जाने वाले श्रद्धालु यहां मत्था टेककर आगे बढ़ते हैं। इससे उनकी यात्रा सुखद रहती है।
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बताया जाता है कि देवी मां यहां रोजाना तीन रूप बदलती हैं। वह सुबह कन्या का भेष धारण करती हैं, तो दोपहर में युवती और शाम को वृद्धा का रूप धारण करती हैं। देवी मां के प्रसन्न होने पर भक्त की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मगर देवी मां का गुस्सा भी भयंकर है। माना जाता है कि केदरनाथ में आई प्रलय धारी देवी के गुस्से का ही नतीजा था। क्योंकि उनकी मूर्ति को हटाने की कोशिश की गई थी, जिससे देवी नाराज हो गई थीं।
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