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कोरोना काल में पिता की छूटी नौकरी तो बेटी बनी सहारा, ऑटो रिक्शा चालक बन परिवार की कर रहीं देख-रेख

Published: Jan 14, 2021 09:05:31 pm

Submitted by:

Soma Roy

Inspirational Story : लाॅकडाउन के दौरान स्कूल बंद होने से पिता ने खो दी नौकरी, बस चलाकर करते थे गुजारा
सेंकेंड ईयर की पढ़ाई के साथ पिता की जिम्मेदारी कम करने के लिए आॅटो चलाने का लिया फैसला

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Inspirational Story

नई दिल्ली। बेटियां-बेटों से कम नहीं होती हैं। जरूरत पड़ने पर वह बेटों से भी बढ़कर साबित होती हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जम्मू-कश्मीर के उधमपुर की बनजीत कौर ने। 21 साल की बनजीत ने कोरोना काल में बेरोजगार हुए अपने पिता की जिम्मेदारी बांटने में अहम भूमिका निभाई। उसने ऑटो रिक्शा चालक बनकर घर को संभालने में मदद की। उसके जज्बे को देख दूसरे लोग भी उनसे प्रेरणा ले रहे हैं।
यूं तो ज़्यादातर ऑटो चालक पुरुष होते हैं, लेकिन इन बातों को दरकिनार कर बनजीत ने ऑटो रिक्शा चलाने का फैसला किया। पढ़ाई के अलावा घर की जिम्मेदारी उठाना उनका मुख्य मकसद था। वह सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रही हैं। चूंकि पिता की नौकरी चली गई ऐसे में वो घर का खर्च उठाने के लिए पार्ट टाइम ऑटो रिक्शा चलाती हैं। बनजीत ने बताया कि उनके पिता एक स्कूल में बस चलाते थे, लेकिन लाॅकडाउन होने से उनकी जाॅब चली गई। ऐसे में घर का खर्च चलाना मुश्किल हो गया। वह अपने पिता को ऐसी हालत में नहीं देख सकती थी। इसी के चलते उसने अपने पिता सरदार गोरख सिंह से ऑटो रिक्शा चलाने की बात कही। चूंकि उन्हें ड्राइविंग नहीं आती थी इसलिए उन्होंने अपने पिता से इसकी ट्रेनिंग ली।
आज बनजीत पर उसके घर वालों समेत सभी स्थानीय लोगों को गर्व है। मालूम हो कि इससे पहले जम्मू कश्मीर में की पूजा देवी ने भी मिसाल कायम की थी। वह पहली महिला पैसेंजर बस ड्राइवर बनी थीं। बताया जाता है कि लड़कियों को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए स्थानीय एआरटीओ की तरफ से भी अभियान चलाया जा रहा है जिसमें लड़कियों को ड्राइविंग की ट्रेनिंग दी जा रही है।
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