इस चुनौती से है निपटना
दरअसल, इस साल फरवरी में हुए पुलवामा हमले के बाद घाटी में आतंकियों को लेकर केंद्र सरकार का रवेया बिल्कुल सख्त है। वहीं भारतीय सेना ने ऑपरेशन ऑलाउट के तहत इस साल अब तक 130 आंतिकयों का काम तमाम किया है। वहीं आने वाले महीनों में कश्मीर में विधानसभा चुनाव ( vidhan sabha election ) होने हैं। ऐसे में आतंकी किसी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते हैं। पिछले महीने 12 जून को अनंतनाग हमले ने अमरनाथ यात्रा के लिए खतरे को और बढ़ा दिया है। अनंतनाग इस यात्रा के रुट में पड़ता है जहां पर 12 जून को आतंकी हमला हुआ था, जिसमें सीआरपीएफ के 5 जवान और अनंतनाग के पुलिस इंस्पेकटर अरशद खान भी शहीद हो गए थे। ऐसे में मोदी सरकार ( Modi government ) के सामने इस यात्रा को बिना किसी अर्चन के पूरा कराने की एक बड़ी चुनौती है।
पहले भी अमरनाथ यात्रा पर हो चुके हैं हमले
वैसे तो साल 1993 में आतंकियों ने पहली बार अमरनाथ यात्रा पर हमला किया था। लेकिन इस यात्रा पर अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला ( terror attack ) साल 2000 में हुआ। इस आतंकी हमले में 32 श्रद्धालुओं ने अपनी जान गंवाई थी। वहीं साल 2017 में भी श्रद्धालुओं की बस पर आतंकियों ने हमला किया। साल 1993 से लेकर अब तक अमरनाथ यात्रा पर कुल 14 हमले हुए, जिसमें कुल 68 लोगों की जान चली गई। वहीं इस साल खुफिया एजेंसियों ने इस यात्रा पर आतंकी हमला होने का अलर्ट जारी किया है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, बालटाल रूट से इस यात्रा को आतंकी निशाना बना सकते हैं। ऐसे में इस बार जम्मू रेलवे स्टेशन से लेकर पूरी यात्रा के रूट पर 40 हजार से ज्यादा जवानों की तैनाती की गई है। चपे-चपे पर भारतीय सेना की पैनी नजर है।