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इस सवाल का जवाब हां है। दरअसल, कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर कानून सेक्शन 102 के तहत पुलिस को यह अधिकार होता है कि वह जांच में सुराग मिलने की उम्मीद के चलते सामग्री ज़ब्त कर सकती है। इस कानून के मुताबिक पुलिस वो हर समान जब्त कर सकती है जिसका संबंध किसी घटित अपराध से हो सकता है।
इसके बाद पुलिस को ज़ब्त की गई सामग्री की रिपोर्ट संबंधित मजिस्ट्रेट को देना होता है। हालांकि एनसीबी, पुलिस से अलग है लेकिन ये काम पुलिस की तरह ही करती है। एनडीपीएस एक्ट के तहत एनसीबी को भी यह अधिकार मिला हुआ है।
CRPC की धारा 102 पुलिस में साफ है कि व्यक्ति आरोपी है या मामले में सिर्फ एक गवाह है इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। अगर पुलिस को शख्श पर शक है और उन्हें लगता है कि इसके मोबाइल / लैपटॉप / निजी डायरी या ऐसी चीजें जिससे सुराग मिल सकता है उसे ज़ब्त किया जा सकता है।
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बता दें ऐसा नहीं की पुलिस ने आपका फोन ज़ब्त किया और उसका डेटा लीक कर दिया। कानून हर व्यक्ति को निजता का अधिकार देता देता है। अगर पुलिस आपका फोन ज़ब्त करती है तो वे काम की जानकारी के बाद उसे वापस भी कर देती है। इसके साथ ही फोन के डेटा लीक न होने देना भी उसकी ज़िम्मेदारी होती है।
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लेकिन इसके बाद भी आपको लगता है कि आपके फोन का डेटा पब्लिक डोमेन में आया है तो आप पुलिस पर भी केस कर सकते हैं । आप सीधे कोर्ट जा सकते हैं।