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हालांकि, कुछ स्टडीज ने बचपन में ट्रांसजेंडरवाद पर सवाल उठाए हैं। अमारांता स्कूल प्रसाशन को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि बच्चे ट्रांसजेंडर हैं या नहीं। उनका कहना है कि हमारे स्कूल में बच्चे जैसे रहना चाहें रह सकते हैं।
स्कूल प्रसाशन का कहना है कि वे अपने स्टूडेंट्स को उनके व्यक्तित्व और भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पढ़ाते हैं। स्कूल का कहना है इस प्रक्रिया में समय ज़रूर लगता हैं लेकिन उससे स्कूल को कोई फर्क नहीं पड़ता। “हम पूरा ध्यान अपने बच्चों पर देते हैं।”
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यहां के टीचर स्टूडेंट्स को पूरा समय देते हैं ताकि वे खुद को समझ सकें। चिली के इस स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को हर तरह की सुविधा है। पढ़ने के साथ-साथ वे यहां खेलते हैं, दोस्त बनाते हैं और हर काम करते हैं। यहां पढ़ रहे स्टूडेंट्स इस माहौल से बेहद खुश हैं।