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इस शख्स की वजह से हमें मिलती है रविवार की छुट्टी, अंग्रेजों की बजाई थी ऐसी बैंड की माननी पड़ी बात

बता दें कि इस घटना का इतिहास बहुत ही दुखद है। इसके पीछे कई लोगों की कठिन लड़ाई और संघर्ष छिपा हुआ है।

Jun 24, 2018 / 01:43 pm

Arijita Sen

इस शख्स की वजह से हमें मिलती है रविवार की छुट्टी, अंग्रेजों की बजाई थी ऐसी बैंड की माननी पड़ी बात

नई दिल्ली। आज है रविवार का दिन यानि कि छुट्टी का दिन। पूरे सप्ताह काम करने के बाद आज के दिन लोग आराम फरमाते हैं, अपने परिवार के साथ वक्त बिताते हैं और इसके साथ ही आने वाले सप्ताह के लिए खुद को रिचार्ज भी करते हैं। पूरे सप्ताह लोगों को इस एक दिन का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार रहता है लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में रविवार को छुट्टी की शुरूआत कब से हुई? किसने की? क्या है इसके पीछे का इतिहास?

सबसे पहले बता दें कि इस घटना का इतिहास बहुत ही दुखद है। इसके पीछे कई लोगों की कठिन लड़ाई और संघर्ष छिपा हुआ है। आज जिस दिन को हम अपने घरों में बैठकर चैन की नींद लेते हैं उसका श्रेय नारायण मेघाजी लोखंडे को जाता है। जैसा कि हम जानते हैं भारत पर ब्रिटिश शासकों का शासन था। उस दौर में लोगों पर बहुत जुल्म ढ़ाया जाता है। अंग्रेजों के शासनकाल में मजदूरों को सप्ताह के सातों दिन बिना छुट्टी के काम करना पड़ता था।

British period

नारायण मेघाजी लोखंडे उस समय श्रमिकों के नेता थे। श्रमिकों की हालत को देखते हुए उन्होंने इसका जिक्र ब्रिटिश सरकार से किया। इसके साथ ही सप्ताह में एक दिन छुट्टी प्रदान करने की अनुमति भी मांगी लेकिन तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा उनके इस निवेदन को खारिज कर दिया गया।

Labour

लोखंडे जी को यह बात कतई पसंद नहीं आई। उन्होंने श्रमिकों के साथ मिलकर इसका जमकर विरोध किया। उन्होंने सरकार की इस सख्ती के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।विरोध प्रदर्शन किया गया। यह सब इतना आसान नहीं था। उन्होंने मजदूरों के हक के लिए काफी कुछ किया। आखिरकार मेहनत रंग लाई।

Workers
जी हां, करीब 7 साल बाद अंग्रेज सरकार ने 10 जून साल 1890 को आदेश जारी किया। इस आदेश के जारी होने के बाद सप्ताह के किसी एक दिन यानि कि रविवार को छुट्टी होने का निर्णय लिया गया।इसके साथ ही हर रोज दोपहर के वक्त आधे घंटे का अवकाश रखा गया।
यानि कि आज जब हम आॅफिस में या किसी भी काम को करने के दौरान लंच ब्रेक लेते हैं उसके पीछे इस महान व्यक्ति के जीवन का कठिन संघर्ष छिपा हुआ है।

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