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लेकिन बीते रविवार को बच्चा जोर-जोर से राने लगा। जिसके बाद डॉक्टरों ने बच्चे की जांच की। जांच में पता चला कि उसके मस्तिष्क के बाईं ओर खून जमा हुआ है। सरल भाषा में इसे brain hemorrhage कहते हैं। इसके बाद डॉक्टर्स ने बच्चे की सर्जरी करने की ठानी। लेकिन एक महीने के बच्चे की सर्जरी करना भी आसान नहीं था जब की वे corona positive भी था।
अस्पताल नें सर्जरी के लिए 6 डॉक्टरों की टीम बनाई और सोमवार रात 3 बजे ऑपरेशन किया गया। टीम का नेतृत्व करने वाले न्यूरोसर्जरी के प्रमुख डॉ. आलोक शर्मा (Dr. Alok Sharma) ने बताया बच्चे की सर्जरी करना ही आखिरी विकल्प था। उन्होंने बताया कि ये सर्जरी लगभग तीन घंटे तक चली। इस दौरान बच्चे के दिमाग में ड्रिलिंग किया गया ताकि एक जगह जमा खून हट सके। लगभग 40 मिलीलीटर खून बहने के बाद, बच्चे के न्यूरोलॉजिकल मापदंडों में सुधार दिखाई देने लगा।जिसके बाद उसे दूबारा कोरोना मरीजों वाले रूम में शिफ्ट कर दिया गया।
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सर्जरी में शामिल हुईं डॉ मोना गजरे ने बताया कि ये सर्जरी उनके जीवन की अबतक की सबसे कठीन सर्जरी है। टीम को समझ नहीं आ रहा था ये कैसे किया जाए। क्योंकि बच्चा कोरोना संक्रमित था। इसलिए एनेस्थीसिया की सही खुराक तय करना बेहद जरूरी था। अगर खुराक थोड़ी भी ज्यादा होती तो बच्चे के फेपड़े पर असर पड़ सकता था। इसके अलावा कोरोना से बचने के लिए भी सावधानी बरतनी जरूरी थी।
बच्चे पिता सतीश पवार (Satish Pawar) ने इस सर्जरी के लिए डॉक्टरों का घन्यवाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं सर्जरी में शामिल सभी डॉक्टरों के लिए वास्तव में शुक्रगुज़ार हूं। एक तरफ जहां कोरोना मरीजों से लोग दूरी बना रहे हैं वहीं इन लोगों ने मेरे बच्चे के लिए अपनी जान जोखिम डाल दी। ये मेरे लिए किसी भगवान से कम नहीं है। बता दें अस्पताल प्रशासन ने बच्चे के माता पिता का भी कोरोना जांच किया है। जिसका रिजल्ट अभी तक नहीं आया है।