लागत बढ़ी कीमत घटी यूं तो देश भर में दूध का उत्पादन करीब 18.68 करोड. लीटर होता है। दूध का उत्पादान इतने अधिक होने के कारण उसकी कीमतों में कमी तो आई ही है, साथ ही दूध व उसके उत्पाद को रखना भी एक समस्या बन गया है। दिल्ली से सटे हरियाणा के गांव रेहान के हरमिन्दर ने बताया कि उनके पास चार मवेशी है। इनके लिए प्रतिदिन 20 किलो चोकर की जरूरत होती है। पहले एक कुंटल चोकर की कीमत 1000 रुपये कुंटल थी। कोरोना वायरस के प्रभाव से फैक्ट्री बंद होने से इसकी कीमतें दुकानदारों ने 1500 रुपये कुंटल कर दी है। इससे लागत बढ़ गई है। यहां खपत कम होने से दूध उत्पादक घी बनाकर मट्ठा मवेशियों को पिला रहे हैं।
निजी कम्पनियों ने दूध खरीदना किया बंद मेरठ के हरियाबाद गांव के मोहम्मद रइस का कहना है कि लोगों ने पहले ही दूध खरीदना बंद किया था और अब तका निजी कम्पनियों ने भी दूध खरीदना बंद कर दिया है। ऐसी स्थिति में वह अपने यहां के सारे दूध को घरों-घरों में घूमकर बेचते हैं। कई बार उनको दूध 15 से 20 रुपये लीटर में ही बेचना पड़ रहा है। इस पर भी दूध न बिकने पर वह घी निकालकर मट्ठा पुनः मवेशियों को पिला देते हैं। यह दुग्ध उत्पादकों के सामने सबसे बड़ी समस्या है।
मवेसियों के खाने के दाम बढ़े दूध उत्पादकों की मानें तो कोरोना के कारण हुए लाॅक डाॅउन के चलते पशुओं के चारे और चोकर के दाम बढ़ गए हैं। दूसरी ओर प्राइवेट डेयरियों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। हालत यह है कि अब दूध पानी मोल बिक रहा है। करोना का कहर अब मवेशियों पर भी परोक्ष रूप में पड़ेगा क्यों कि पशुपालक उन्हें महंगा चारा और चोकर नहीं खिलाएंगे।
एनसीआर में दूध की बिक्री में 60 प्रतिशत गिरावट हरियाणा के बकिया गांव के पशुपालक सुरेन्द्र गूजर ने बताया कि उनके पास 14 मवेशी है। इनके लिए प्रतिदिन 40 किलो चोकर की जरूरत होती है। पहले एक कुंटल चोकर की कीमत 1000 रुपये कुंटल थी।कोरोना वायरस के प्रभाव से फैक्ट्री बंद होने से इसकी कीमतें दुकानदारों ने 1500 रुपये कुंटल कर दी है। इससे लागत बढ़ गई है। वह अपने मवेशियों को अब चोकर देना बंद कर चुके है। इससे दूध की लागत तो कम हो गई है। लेकिन दूध की बिक्री भी 60 फीसदी तक गिर गई है।
कोरोना वायरस के झटके से जल्द नहीं उबरेंगे पशुपालक कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण दूध उत्पादन में जुटे पशुपालकों को गहरा झटका लगा है। निजी डेयरियों ने हाथ खड़े कर लिए हैं। इन डेयरियों ने पिछले एक सप्ताह से पशुपालकों से दूध की खरीद बंद कर दी है। मोटर साइकिल में केन बांधकर रेस्टोरेंट, होटल व मिठाई की दुकानों पर दूध पहुंचाने वाले दूधियों का काम बंद हुआ है। इससे प्रतिदिन बचने वाले दूध को औने पौने दामों में बेचना पड़ रहा है। पशुपालकों ने बताया कि इसका असर लम्बे समय तक रहेगा, क्योंकि हम लोग आर्थिक रूप से इतने पिछड़ जाएंगे कि उसकी भरपाई जल्द नहीं हो पाएगी।