सड़क दुर्घटना में साल 2014 को अपनी बेटी खोने के दो महीने बाद ही डॉ. शुभांगी और उनके पति संजय तांबवेकर ने एक संगठन बनाने का निर्णय लिया। जिसका काम लोगों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करना, सरकार को मूलभूत सुविधाओं को ठीक कराने के लिए अपील करना और निजी स्तर पर सड़कों की मरम्मत कराना आदि कार्य शामिल है।
मृतक की मां डॉ. शुभांगी का कहना है कि वह नहीं चाहती हैं कि उनकी बेटी के साथ जो हुआ वो किसी और के साथ भी हो। इसलिए उन्होंने ऐसे कठिन हालात में संस्था की शुरुआत की। इसके तहत वे लोगों को सड़क पर चलने के नियम कायदे के बारे में बताते हैं। साथ ही सरकार से इंफ्रास्ट्रक्चर ठीक करने की समय-समय पर मांग भी करते हैं। इतना ही नहीं संस्था की ओर से आटो के चलते सड़कों पर हुए गड्ढ़ों को भरे जाने का काम भी होता है।