मृतक की पत्नी ने बताया कि उनके पति की गंभीर हालत को देखकर उन्होंने अस्पताल में फोनकर एंबुलेंस बुलवाई थी। वो नहीं चाहते थी कि कोरोना की जानकारी मिलते ही पड़ोसियों में पैनिक क्रिएट हो। इसलिए वो सड़क पर पति के साथ अकेले ही एंबुलेंस की राह देखती रहीं। मगर वक्त रहते इलाज न मिलने से उनके पति की मौत हो गई। इसके लिए वो अस्पताल प्रशासन को दोषी मानती हैं। हालांकि अस्पताल वालों ने इस मसले पर अपनी सफाई पेश की है।
बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) के एक अधिकारी के मुताबिक एंबुलेंस पहुंचने में देरी कम्यूनिकेशन फेलियर की वजह से हुई है। साथ ही शाम को शहर में हुई भारी बारिश के चलते भी एंबुलेंस को पहुंचने में ज्यादा वक्त लगा। वैसे मामले की जांच की जाएगी और घटना में लापरवाही पाए जाने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मालूम हो कि कुछ दिन पहले भी ऐसा ही एक वाक्या सामने आया था। जिसमें एक हफ्ते पहले एक 52 वर्षीय व्यक्ति की मौत एंबुलेंस में ही हो गई थी। उसे 18 अस्पतालों ने अपने यहां एडमिट करने से मना कर दिया था। इसके चलते अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था।