इस कहानी की शुरूआत उसके बचपन से होती है। जब वह सात साल की होती है और स्कूल जाया करती थी। तो अक्सर एक आदमी उसका पीछा किया करता था और उसे गंदी-गंदी बातें कहा करता था। एक दिन बच्ची ने तंग आकर घर पर अपने पापा को इस घटना की जानकारी दी। उसके पिता तुरंत बच्ची को लेकर उस आदमी के पास ले गए और कहा कि इस आदमी को तेज़ के दो थप्पड़ मारो। यहां से बेटी ने निर्डर और खुलकर जीने की सीख लिया।
जब वह बड़ी हुई तो उसने अपने माता-पिता की खुशी के लिए उनके पंसद के लड़के से शादी के लिए हामी भर दी। लेकिन समय के साथ-साथ लड़की उस लड़के को समझने लगी। उसने देखा कि जिस लड़के में वो अपना हमसफ़र ढूंढ रही है। वो भी बाकी लड़कों की तरह ही है लड़कियों के बोल्ड होने की बात को हज़म नहीं कर पा रहा है। लड़की के शरीर पर दो टैटू थे, लड़की के पुरूष दोस्त भी थे, वो कभी-कभी अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने भी जाया करती थी। लड़की की ये बात लड़के को पंसद नहीं आई और उसने लड़की की मां को कहा कि आप की बेटी का सामूहिक बलात्कार हुआ है। उसके कई लड़कों के साथ संबंध रहे हैं। अपने होने वाले हमसफ़र के मुंह से ऐसी बात सुन वो लड़की बिल्कुल टूट गई और उसने सगाई तोड़ दी। उसके इस बड़े फैसले पर उसके माता-पिता ने उसका पूरा साथ दिया।
पुरूष और महिलाएं दोनों ही इस सृष्टि की रचना है। इस धरती पर जितना जरूरी मर्दों का रहना है उतना ही औरतों का भी। तो फिर क्यों औरतें मर्दों की हिंसा का शिकार हों? आजकल कई औरतें पढ़-लिखकर बिना शादी के भी खुशी से अपनी जिंदगी बीता रही हैं। ऐसा नहीं है कि वो ज्यादा पढ़ लिख चुकी हैं। बल्कि अब उन्हें अब रिश्तों पर भरोसा नहीं है। तो ये कहानी एक लड़की के साथ उसके माता-पिता के संघर्ष की भी थी। जो समाज से परे होकर अपनी बेटी के साथ खड़े रहे।