धनतेरस पर गहने बर्तन खरीदने की परंपरा
जब समुद्र मंथन हो रहा था उस दौरान कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को भगवान धनवंतरि धरती पर प्रकट हुए उस समय उनके हाथों में दिव्य कलश था। उसी कलश को आधार मानकर लोग इस पर्व पर बर्तन खरीदते हैं। धनतेरस पर लोग स्टील, सिल्वर कांसे के नए बर्तन खरीदकर घर लाते हैं जो शुभ माना जाता है।
धनतेरस की खरीद से 13 गुना होती है वृद्धि
धर्म ग्रंथों की माने तो धनतेरस के दिन खरीदे गए आभूषण और गहनों में 13 गुना बढ़ोतरी होती है। यही वजह है लोग धनतेरस को जमकर खरीददारी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि धनतेरस के दिन बर्तन भर नहीं बल्कि चांदी खरीदने से भी बड़ा लाभ मिलता है। यही वजह है लोग इस दिन चांदी के सिक्के या चांदी की लक्ष्मी – गणेश की मूर्तियां खरीदते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि धनतेरस पर दूसरे धतु से बने सामान नहीं खरीद सकते हैं। लोग सोना, तांबा, कांसा व पीतल से बनी हुई वस्तु खरीद सकते हैं। यह भी मान्यता है धनतेरस के दिन ये वस्तुएं खरीदने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उनकी कृपा प्राप्त होती है जिससे किसी की भी किस्मत पलट जाती है।
दक्षिण दिशा में जलाया जाता है दीया
धनतेरस से ही शुरू होने वाले दीपावली पर्व के दूसरे दिन यम चतुर्दशी होता है जिसे लोग नर्क चतुर्दशी भी कहते हैं, इस दिन घर के दक्षिण दिशा में दीपक जलाया जाता है, इस दीपक का खास महत्व होता है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार यमदेव से उनके दूतो ने पूछा कि क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई यत्न हो सकता है प्रभू, तब यमदेव ने कहा कि जो मनुष्य धनतेरस के दूसरे दिन दक्षिण दिशा में दीपक जलाकर रखेगा उसका अकाल मृत्यु का योग कट जाता है। वैसे भी दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है, इसीलिए यम की पूजा का विधान है।