इसका जवाब यह है कि पांचोट गांव में कुत्तों को खिलाने के लिए जमीन दान करने की परंपरा है। इस परंपरा के कारण करीब 15 से 20 बीघा जमीन एकत्र की गई है। अब इस जमीन के आगे से एक बायपास रोड बन रहा है जिसके चलते जिस भूमि की लाख रुपए कीमत भी नहीं थी, वह आज करोड़ों की लागत तक पहुंच गई है। चूंकि यह जमीन कुत्तों को दान की गई है, इसलिए गांव के कुत्ते करोड़पति बन गए हैं।
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दुकान-खेती की आय कुत्तों पर ही खर्च
आज के समय में जमीन का ये हाल है कि गांव की सड़क तक बड़े मॉल और बाईपास के कारण जमीन की कीमतें आसमान छू रही हैं। अपने पूर्वजों द्वारा कुत्तों को दान की गई कीमती जमीन को बेचा नहीं जाता है और ग्रामीणों द्वारा जमीन का लेनदेन किया जाता है। खेती योग्य भूमि से कृषि उपज की आय में से और बिल्डिंग या दुकान की संपत्ति के किराये के रूप में मिल रही आय को कुत्तों पर ही खर्च किया जाता है।
कुत्तों को जमीन दान करते थे
मिली जानकारी के अनुसार काफी समय से चली आ रही है ये परंपरा को वंहा के लोग आज भी निभा रहे है। इस प्रथा को समय-समय पर अपने बड़ों द्वारा निभाया जाता है। क्षेत्र में और उसके आसपास रहने वाले कुत्तों पर खर्च किया जाता है। लोगों की मान्यता के अनुसार, पूर्वज अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए कुत्तों को जमीन दान करते थे।
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जमीन नहीं बेचने की कसम
इसी गांव के लोगों को मानना है कि गांव के लोगों नेकभी जमीन नहीं बेचने की कसम खाई है, यानी इस गांव में पैदा होने वाला हर कुत्ता इतनी दौलत लेकर पैदा होगा।
यह संदेश आज के लोगों के लिए एक बड़ी सीख है कि आज के युग में जहां एक भाई जमीन के एक छोटे से टुकड़े के लिए दुश्मन बन जाता है, वही पंचोट गांव के लोग अभी भी कुत्तों के मुआवजे के लिए कुत्तों के लिए आवंटित भूमि रखते हैं जो बेहद सरहानीय है।