दो साल से कम उम्र के बच्चों को भूलकर भी न दे एंटीबायोटिक, हो सकता है खतरा
- Antibiotic to children : बचपन से बच्चों को एंटीबायोटिक देने से गुड बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते हैं
- ये बच्चे की एकाग्रता पर असर डाल सकते हैं, इससे बच्चा गुस्सैल हो सकता है

नई दिल्ली। शरीर में दर्द, जुकाम एवं बुखार आदि होने पर डाॅक्टर एंटीबायोटिक दवा देते हैं। मगर 2 साल से कम उम्र के बच्चों को ये दवाई देना खतरे से खाली नहीं है। क्योंकि इससे उन्हें आगे जाकर अस्थमा, एक्जीमा, फ्लू एवं बेचैनी की समस्या हो सकती है। इस बात की पुष्टि अमेरिका स्थित मेयो क्लीनिक के अध्ययन में हुआ है।
स्टडी के लिए क्लीनिक की ओर से करीब 14500 बच्चों की सेहत से जुड़े रिकॉर्ड का जायजा लिया गया। इसमें पाया गया कि 70 फीसदी बच्चे जिन्हें दो साल से कम उम्र से ही एंटीबायोटिक खिलाना शुरू कर दिया गया था उनमें लंबे समय तक परेशान करने वाली बीमारियों के लक्षण देखने को मिले। शोधकर्ताओं का कहना है कि एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से बच्चों के पेट और आंत में मौजूद गुड बैक्टीरिया भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे हानिकारक संक्रमण से लड़ने की शरीर की क्षमता कम हो जाती है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर छोटे बच्चे को बचपन से एंटीबायोटिक की आदत डाल दी जाए तो बच्चे के शरीर में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया सुपरबग बन जाते हैं। यानी उनमें एंटीबायोटिक के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। बचपन से बच्चों को ऐसी दवाईयां देने पर बच्चा बड़े होने पर आक्रामक स्वभाव का बन सकता है। उसमें मोटापे के लक्ष्ण भी देखने को मिल सकते हैं। ये उसकी एकाग्रता को भी भंग कर सकते हैं।
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