ये है पूरा मामला
दरअसल, मामला दिल्ली का है। यहां साल 1992 में महेंद्र कुमार शारदा (Mahendra Kumar Sharda) नाम का एक शख्स ओम माहेश्वरी के ऑफिस में मैनेजर के तौर पर काम करते था। माहेश्वरी उन दिनों दिल्ली स्टॉक एक्सचेंज़ (Stock exchanges) के सदस्य थे। साल 1997 में माहेश्वरी ने दिल्ली में शारदा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाया। माहेश्वरी ने आरोप लगाया कि उनके मैनेजर शारदा ने फर्जी तरीके से उनके नाम पर अकाउंट खोल लिए। इसके बाद महेंद्र ने चेक के जरिए कमिशन और ब्रोकरेज के पैसे निकाल लिए। शारदा ने उस समय 2212 रुपये और 50 पैसे निकाले थे।
हाईकोर्ट ने सुनाया ये फैसला
आपको बता दें कि माहेश्वरी के इस आरोप के बाद शारदा पर शुरू में धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप लगे, जिसके बाद में वो इसके सेटलमेंट के लिए तैयार हो गए। हालांकि इस साल जुलाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने शारदा पर लगे आरोपों को खारिज करने से इनकार दिया। हाई कोर्ट ने सख्त लहजे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये गंभीर आरोप हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दी ये प्रतिक्रिया
हाईकोर्ट के बाद ये मामला देश की सबसे बड़ी न्यायलय सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां आरोपी शारदा ने कहा कि वो 50 लाख रुपये देकर मामले को खत्म करना चाहते हैं। न्यायमूर्ति संजय के. कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने शारदा के वकील से सवाल किया कि इस मामले को सुलझाने और न्यायिक प्रक्रियाओं का उपयोग करने में दो दशक से अधिक समय क्यों लगा? बता दें सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक समय बर्बाद करने के लिए शारदा पर 5 लाख का जुर्माना लगाया। हालांकि अब 15 सितंबर को उनकी दलील सुनने के बाद शारदा के भविष्य पर फैसला करेंगे।