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दोस्त की मां को न बचा पाने के गम में शख्स ने छोड़ी 10 लाख की नौकरी, शुरू की अनोखी पहल

Published: Aug 21, 2019 04:58:26 pm

Submitted by:

Priya Singh

बेंगलुरु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर कर रहे हैं लोगों को अंगदान के लिए जागरूक
देश में अलख जगाने के लिए शुरू किया कन्याकुमारी से कश्मीर तक का सफर

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नई दिल्ली। बेंगलुरु के सॉफ्टवेयर इंजीनियर मांजुनाथ अपनी दोस्त की मां को अंगदान करने वाला नहीं मिलने की वजह से बचा नहीं पाए। इस असफलता ने उनके दिमाग में नई सोच को जन्म दिया। उन्होंने एक सपना पाला और उसे पूरा करने के सफर में उन्होंने अपनी दस लाख रुपए के सालाना पैकेज की नौकरी को भी छोड़ दिया। उन्होंने अंगदान की अलख जगाने के लिए साइकिल पर कन्याकुमारी से कश्मीर तक का सफर तय किया।

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मांजुनाथ की ने ये यात्रा 15 जुलाई को कन्याकुमारी से शुरू की। हर दिन वे साइकिल से 150 किलोमीटर का रास्ता पूरा करते हैं। उन्हें अपनी मंज़िल तक पहुंचने में 4000 किलोमीटर की दूरी तय कर कश्मीर पहुंचना है। अपने सफर के दौरान वे लोगों को अंगदान के लिए जागरूक करते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान होते हुए अब वे हरियाणा पहुंच गए हैं।

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मांजुनाथ के दोस्त की मां का लिवर बुरी तरह ख़राब हो गया था। डॉक्टरों ने बताया उन्हें बचाने के लिए उनका लिवर ट्रांसप्लांट करना ज़रूरी है। डॉक्टर की सलह मिलते ही वे लोग अंगदानी को ढूंढ़ने लगे। उन्होंने दो महीने तक कोशिश की लेकिन कोई लिवर देने के लिए तैयार नहीं हुआ। जिसके चलते मांजुनाथ के दोस्त की मां दुनिया को अलविदा कह गईं। इस घटना के बाद उन्होंने ठान ली कि वे लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करेंगे। तब से वे अपनी नैकरी छोड़कर इस मिशन में लग गए।

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