माना जा रहा है कि यह परजीवी घुन एशिया की मधुमक्खियों से पश्चिमी मधुमक्खियों से 1950 के आसपास आया था। यह 1957 में जापान, 1963 में हॉन्ग कॉन्ग में फैला अब दुनिया में सब जगह फैल गया है। यह केवल ऑस्ट्रेलिया और कुछ द्वीपों में नहीं पहुंच सका है और अब एक वैश्विक महामारी बन कर मधुमक्खियों के लिए खतरा बन गया है। यदि इस घुन का इलाज नहीं किया गया तो मधुमक्खियों का पूरा छ्त्ता ही दो साल में खत्म हो जाता है। इस परजीवी के साथ दूसरे जीवाणू और खराब पोषण जैसे कारणों की वजह पर मधुमक्खी पालक अपनी मधुमक्खियों को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। अकेले अमेरिका में ही 26 लाख मधुमक्खियों की आबादियां हैं और उनमें से आधी इस वी डिस्ट्रक्टर परजीवी घुन से संक्रमित हैं। यह केवल ज्ञात संख्या ही है। वास्तविक संख्या और भी ज्यादा होने की संभावना है।
मधुमक्खी पालक धीरे धीरे अपने मधुमक्खियों की आबादी बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह उन्हें बहुत महंगा पड़ रहा है। पश्चिमी मधुमक्खियों की खास बात यह होती है कि वे इस परजीवी घुन के साथ नहीं पनप सकते। इनमें घुन से लड़ने की क्षमता नहीं होती।