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Coronavirus की तरह मधुमक्खियों में भी फैली महामारी, दो साल में खत्म हो जाएगा पूरा छत्ता

locationनई दिल्लीPublished: May 20, 2020 02:53:22 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

Highlights
-कोरोना वायरस महामारी से सारी दुनिया परेशान है, लेकिन केवल इंसान ही नहीं हैं जो इस समय महामारी के शिकार हैं
-मधुमक्खियां (Honey Bees) भी एक महामारी को झेल रही हैं
-लगभग एक करोड़ सालों से सफलता पूर्वक सामाजिक जीवन जी रही मधुमक्खियां अब एक महामारी की सामना कर रही हैं

Coronavirus की तरह मधुमक्खियों में भी फैली महामारी, दो साल में खत्म हो जाएगा पूरा छत्ता

Coronavirus की तरह मधुमक्खियों में भी फैली महामारी, दो साल में खत्म हो जाएगा पूरा छत्ता

नई दिल्ली. कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। कोरोना वायरस महामारी से सारी दुनिया परेशान है, लेकिन केवल इंसान ही नहीं हैं जो इस समय महामारी के शिकार हैं। मधुमक्खियां (Honey Bees) भी एक महामारी को झेल रही हैं। लगभग एक करोड़ सालों से सफलता पूर्वक सामाजिक जीवन जी रही मधुमक्खियां अब एक महामारी की सामना कर रही हैं। अब तक तमाम तरह की मुसीबतों से उबर कर पृथ्वी पर खुद को कायम रखने में कामयाब रही मधुमक्खियां अब वैश्विक महामारी से जूझ रही हैं। साइंटिफक अमेरिकन में प्रकाशित खबर के मुताबिक वरोआ डिस्ट्रक्टर नाम के परजीवी घुन ने यह तहलका मचाया है इसने पहले एशिया की मधुमक्खियों में महामारी फैलाई है। अब यह पश्चिमी प्रजातियों में भी फैल रहा है।

माना जा रहा है कि यह परजीवी घुन एशिया की मधुमक्खियों से पश्चिमी मधुमक्खियों से 1950 के आसपास आया था। यह 1957 में जापान, 1963 में हॉन्ग कॉन्ग में फैला अब दुनिया में सब जगह फैल गया है। यह केवल ऑस्ट्रेलिया और कुछ द्वीपों में नहीं पहुंच सका है और अब एक वैश्विक महामारी बन कर मधुमक्खियों के लिए खतरा बन गया है। यदि इस घुन का इलाज नहीं किया गया तो मधुमक्खियों का पूरा छ्त्ता ही दो साल में खत्म हो जाता है। इस परजीवी के साथ दूसरे जीवाणू और खराब पोषण जैसे कारणों की वजह पर मधुमक्खी पालक अपनी मधुमक्खियों को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। अकेले अमेरिका में ही 26 लाख मधुमक्खियों की आबादियां हैं और उनमें से आधी इस वी डिस्ट्रक्टर परजीवी घुन से संक्रमित हैं। यह केवल ज्ञात संख्या ही है। वास्तविक संख्या और भी ज्यादा होने की संभावना है।

मधुमक्खी पालक धीरे धीरे अपने मधुमक्खियों की आबादी बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह उन्हें बहुत महंगा पड़ रहा है। पश्चिमी मधुमक्खियों की खास बात यह होती है कि वे इस परजीवी घुन के साथ नहीं पनप सकते। इनमें घुन से लड़ने की क्षमता नहीं होती।
वहीं इसके अलवा एकट्रोपिलाएलाप्स नाम का एक परजीवी घुन एक और महामारी फैला रहा है। यह भी एशिया की बड़ी मधुमक्खियों से अमेरिका की मक्खियों में पहुंचा है। यह घुन वरोरा से ज्यादा घातक है। माना ज रहा है कि यह दूसरे महाद्वीपों से अमेरिका में फैल सकता है और यह केवल समय की ही बात होगी।वैज्ञानिकों का मानना है कि इंसान ने जिस तरह से प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट कर जैवविधितता खत्म की है। यह सब उसी का नतीजा है कि संक्रमण फैलने वाले जीवाणु, विषाणु तेजी से पनप कर प्रजातियां नष्ट करने लगे हैं।
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