scriptटेक्नोलॉजी से होगा आपका फेस वेरिफिकेशन, मिलेंगे ये सारे फायदे | Face verification from technology | Patrika News

टेक्नोलॉजी से होगा आपका फेस वेरिफिकेशन, मिलेंगे ये सारे फायदे

Published: Mar 04, 2021 09:27:20 am

भारत में डिजिटल वेरिफिकेशन फर्म्स का बिजनेस तेजी से बढ़ रहा है। डिजिटल वेरिफिकेशन फर्म्स कई टेक्नोलॉजी उपलब्ध करवा रही हैं और डिजिटल वर्ल्ड के यूजर्स को पहचानने में कई कंपनियों की मदद कर रही हैं।

face_verification.jpg
कुछ समय पहले पहले दिल्ली के बिजनेस मैन वरुण बंसल ने एयरबीएनबी पर होस्ट बनने के लिए साइन अप किया। एयरबीएनबी ने वेरिफिकेशन प्रोसेस की। इसके लिए मुंबई स्थित डिजिटल ऑथेंटिकेशन स्टार्टअप आइडीफाई की मदद ली गई और देखा गया कि वरुण वही व्यक्ति हैं, जिसका कि वे दावा कर रहे हैं। अब भारत में आइडीफाई जैसी कई डिजिटल आइडेंटिटी वेरिफिकेशन फर्म्स की सर्विसेज की मांग काफी बढ़ गई है। देश में कई बिजनेस डिजिटल हो चुके हैं और उनका ग्राहकों के साथ फिजिकल इंटरेक्शन नहीं है। ऐसे में डिजिटल आइडेंटिटी वेरिफिकेशन फर्म्स की उपयोगिता बढ़ी है।
वेरिफिकेशन का चलन
डिजिटल वेरिफिकेशन स्पेस में मुख्य नामों में साइनजी, वेरि5डिजिटल और फेसएक्स शामिल हैं। ये फेशियल रिकॉग्निेशन और वॉइस रिकॉग्निेशन से डिजिटली आइडेंटिटी वेरिफाई करती हैं। इनका काम यह तय करना है कि जिस व्यक्ति की आइडेंटिटी वेरिफाई की जा रही है, वह फ्रॉड नहीं है। उसने किसी और की आइडेंटिटी चुराई नहीं है और सारे डॉक्यूमेंट्स असली हैं। तेजी से बढ़ते हुए डिजिटल वर्ल्ड में डिजिटल पहचान को वेरिफाई करना बहुत आवश्यक है। कई नए जमाने के सिक्योरिटी मैकेनिज्म जैसे वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी), फिंगरप्रिंट, आइरिस स्कैन और फेशियल रिकॉग्निेशन से पहचान सुनिश्चित की जाती है।
लाइवनेस टेस्ट का तरीका
ये स्टार्टअप्स ग्राहक के फोन को डिटेक्शन डिवाइस के रूप में काम में लेते हैं और उसके चेहरे को सरकारी आइडी कार्ड के साथ मैच करने के लिए सेल्फी मांगते हैं। बैकएंड पर फेशियल रिकॉग्निेशन सॉफ्टवेयर पहचान के लिए दी गई फोटो के साथ वीडियो कॉल पर मैचिंग करता है। टेक्नोलॉजी से देखते हैं कि कहीं डॉक्यूमेंट्स के साथ छेड़छाड़ तो नहीं की गई है। टेस्टिंग का एक अन्य तरीका लाइवनेस टेस्ट है। इसमें तय किया जाता है कि वीडियो कॉल के दौरान सामने जो व्यक्ति है, कहीं वह किसी और की फेस रिकॉर्डिंग या फोटोग्राफ तो काम में नहीं ले रहा है। इसमें जेस्चर और आवाज से ऐप पता लगा सकता है कि कहीं कुछ गड़बड़ है।
फेशियल रिकॉग्निेशन बेस्ड सिस्टम्स
देश की कई बड़ी डिजिटल कंपनियां डिजिटल वेरिफिकेशन स्टार्टअप्स की मदद ले रही हैं और डिजिटल केवाइसी करवा रही हैं। डिजिटल वर्ल्ड में वित्तीय फ्रॉड की आशंकाएं बढ़ गई हैं। हर डिजिटल कंपनी ग्राहकों को लेकर पारदर्शिता चाहती है। भारत में डिजिटल ऑथेंटिकेशन की शुरुआत आधार के साथ हुई। इसमें बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन और ओटीपी की मदद ली गई। पिछले वर्ष सुप्रीम कोर्ट ने निजी कामों के लिए आधार बेस्ड ऑथेंटिकेशन की इजाजत देने से मना कर दिया। कंपनियों को आइडेंटिटी वेरिफाई करने के लिए अन्य तरीके खोजने पड़े। फेशियल रिकॉग्निेशन आधारित सिस्टम्स से डॉक्यूमेंट्स में गड़बडिय़ों के मामलों में कमी आई है।
ई-केवाईसी की डिमांड
बैंगलुरु का फेसएक्स स्टार्टअप कंपनियों के लिए फेशियल रिकॉग्निेशन एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस ऑफर करता है। ई-केवाईसी एप्लीकेशन्स के लिए कुछ महीनों में इसकी टेक्नोलॉजी की डिमांड बढ़ गई है। कंपनी ने ई-केवाईसी के लिए खास प्रोडक्ट बनाया है, जो डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी जैसी चुनौतियों का सामना करता है। यूजर द्वारा इजाजत देने और आइडी डॉक्यूमेंट्स व फोटोग्राफ्स अपलोड करने पर यह इमेज के लिए वेक्टर एड्रेस क्रिएट करता है और वेक्टर्स की तुलना करके मैच पर्सेन्टेज खोजता है।
उपस्थिति का वेरिफिकेशन
सभी स्टार्टअप्स एक बार वेरिफिकेशन हो जाने के बाद पर्सनल डाटा को डिलीट कर देते हैं। मौजूदा दौर में डिजिटल आइडेंटिटी को ऑर्थराइज करने के लिए ब्लॉकचेन एक मुख्य सपोर्टिंग टेक्नोलॉजी के रूप में उभरी है। कई कंपनियां एम्प्लॉइज की उपस्थिति के लिए प्लास्टिक आइ कार्ड के स्थान पर डिजिटल आइडी वेरिफिकेशन करने लगी हैं। फेशियल रिकॉग्निेशन के आधार पर कंपनियों में अटैंडेंस की जाती है। यह टेक्नोलॉजी पोर्टेबल है और इसे रिमोट लोकेशन्स में भी काम में ले सकते हैं। कई जगहों पर लोगों का फिजिकल वेरिफिकेशन मुश्किल होता है। ऐसी जगहों पर प्रोक्सी से हेराफेरी की जा सकती है। वहां यह टेक्नोलॉजी काफी उपयोगी है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो