एशिया के पहले व्यक्ति जिन्हे मिला था नोबेल पुरस्कार
गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर एशिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव हासिल हुआ। साल 1913 में उन्हें यह पुरस्कार उनकी कृति ‘गीतांजली’ के लिए दिया गया था। नोबल पुरस्कार को रवींद्रनाथ टैगोर ने सीधे नहीं लिया बल्कि उनकी तरफ से ब्रिटेन के राजदूत ने यह पुरस्कार प्राप्त किया। बाद में उन्होंने इसे गुरुदेव को सौंपा।
गुरुदेव टैगोर अपने माता-पिता की तेरहवीं संतान थे। बहुत ही कम उम्र से उन्होने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं और 16 वर्ष की उम्र से उन्होने कहानियां और नाटक लिखने प्रारंभ कर दिए थे।
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प्रकृति की सुंदरता से था प्यार
रवींद्रनाथ टैगोर प्रकृति की खूबसूरती को बहुत पसंद करते थे। वे मानते थे कि मनुष्य को प्रकृति से प्रेरणा लेनी चाहिए। प्रकृति से जुड़ाव की वजह से ही उन्होंने शांति निकेतन की स्थापना की थी।
दो देशों के लिए की थी राष्ट्रगान की रचना
रवींद्रनाथ टैगोर संभवत: दुनिया के एकमात्र कवि थे जिन्होनें दो देशों के लिए राष्ट्रगान की रचना की थी। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत और बांग्लादेश दोनों देशों के लिए राष्ट्रगान लिखा। गुरुदेव की रचनाएं बांग्ला संस्कृति का अभिन्न अंग बन चुकी हैं। उन्होने अपने जीवन के 51 वर्षों का लंबा वक्त कलकत्ता और उसके आस-पास के क्षेत्रों तक सीमित रखा था। हालांकि उन्होंने कई देशों की यात्राएं भी की थीं।