जयपुरPublished: Jan 26, 2018 07:57:35 pm
विकास गुप्ता
सूरज की रोशनी कम होने पर ‘सैड’ यानी सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर की समस्या सामने आने लगती है। ऐसे में धूप लेना जरूरी है।
सर्दियों में दिमाग का कार्य अधिक होने से मूड व सोने के पैटर्न को नियंत्रित करने वाला मेलाटोनिन हार्मोन असंतुलित हो जाता है जो अवसाद का मुख्य कारण है। वहीं सेरोटॉनिन न्यूरोट्रांसमीटर का काम करता है। जो सूर्य की रोशनी में ही सक्रिय होता है। लेकिन सर्दियों में सूरज की रोशनी कम होने से यह रसायन कम सक्रिय होता है जिससे लोगों में अवसाद बढ़ऩे लगता है। धूप की किरणें लेने से दिमाग का हाइपोथैलेमस हिस्सा उत्तेजित होने से नींद, मूड व हमारी भावनाएं नियंत्रित होती हैं।