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GST के 3 साल पूरे, जानें इससे लोगों को किस तरह से मिले फायदे ?

locationनई दिल्लीPublished: Jul 01, 2020 09:24:24 am

Submitted by:

Vivhav Shukla

देश में GST लागू हुए 3 साल पूरे हो गए हैं। सरकार ने 1 जुलाई 2017 को अप्रत्यक्ष कर (Goods and Services Tax) की इस नई व्यवस्था को लागू किया था।
 

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gst completes three years

नई दिल्ली: देश में GST लागू हुए 3 साल पूरे हो गए हैं। सरकार ने 1 जुलाई 2017 को अप्रत्यक्ष कर (Goods and Services Tax) की इस नई व्यवस्था को लागू किया था। जीएसटी के आने के बाद रोजमर्रा की कई चीजों पर टैक्स की दर बदल गई। नहाने के साबुन से लेकर दांत साफ करने वाले पेस्ट के रेट कम हो गए। वहीं कुछ सामान के रेट में बढोत्तरी भी हो गई।

पहले जान लें ये GST क्या है? (What is gst)

जीएसटी (Goods and Services Tax) लागू होने पर देशभर में हर समान और प्रतिएक सेवा पर सिर्फ एक टैक्स यानी वैट लगता है। इसके अलावा आपको कोई भी अन्य टैक्स नहीं देना होता है। एक्साइज और सर्विस टैक्स के स्थान पर एक ही टैक्स लगता है। अब जानते हैं इस नई व्यवस्था का आप पर कितना असर पड़ा है।

कई प्रकार के Tax से छुटकारा

GST के आने के बाद से लागू होने से कारोबारियों एवं उद्यमियों (Businessmen and entrepreneurs) को कई प्रकार के टैक्स देने से छुटकारा मिल गया है। कर विभाग के अधिकारियों द्वारा करों की हेराफेरी की संभावना पर भी GST ने विराम लगा दिया है। इसके अलावा इसने करों की गणना और संग्रह प्रक्रिया को काफी आसान बना दिया है।


Tax फाइल करने वालों की संख्या में इजाफा

GST आने के बाद देश में टैक्स (Tax) फाइल करने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। इस सेवा के आने के आने के बाद करोड़ों नए कारोबारियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। हालांकि सरकार के टैक्स कलेक्शन में अभी उतना इजाफा नहीं हुआ जितना होना चाहिए था । लेकिन जानकारों को मानना है कि आने वाले समय में इसका फायदा जरूर मिलेगा।

Tax चोरी पर लागाम

GST आने के बाद से कारोबारियों (Businessmen) को अपना टैक्स रिटर्न डिजिटल तरीके से भरना होता है और ग्राहकों को दिए गए बिल में जीएसटी का विवरण देना होता है जिससे कारोबारियों द्वारा की जा रही टैक्स चोरी कम हो गई। आब टैक्स चोरी करने वाले आसानी से पकड़ में आ जाते हैं।


आयात-निर्यात में आसानी आसानी

पूरे देश में एक टैक्स व्यवस्था आने से राज्यों के बॉर्डर पर बिना किसी परेशानी के ई-वे बिल के जरिए गुड्स के ट्रक राज्यों की सीमाओॆ को पार कर सकते हैं जिससे गुड्स के परिवहन का खर्चा भी कम होता है और इससे समय की भी बचत होती है।


आम जनता का खर्च कुछ हद तक घटा

GST के वजूद में आने से रोजमर्रा की कई चीजों पर टैक्स की दर बदल गई। उदाहरण के तौर पर शुरुआत में शैंपू महंगा हो गया था. इस पर टैक्स की दर 24-25 फीसदी से बढ़कर जीएसटी में 28 फीसदी हो गई थी. हालांकि, बाद में यह 18 फीसदी टैक्स वाले स्लैब में आ गया।

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