गांव के रहने वाले महंत देवदास की एक गाय थी। उनका देहांत करीबन 7-8 साल पहले ही हो गया था। जिसके बाद से इस गाय का ध्यान ये गांव वाले ही रखते थे। 7-8 सालों तक गाय की देखभाल करते-करते लोगों को गाय से लगाव हो गया। जब गाय की मौत हुई तो गांव के हिंदु लोगों के साथ मुसलमान लोग भी इक्ट्ठे हो गए। उन्होंने गाय का अंतिम संस्कार तो किया ही साथ ही साथ वे तेरहवीं में भी शामिल हुए। ये खब़र बताती है कि आज भी लोगों के दिलों में धर्म से बढ़कर इंसानियत है।